
चित्तौडग़ढ़। चित्तौडग़ढ़ श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान के तत्वावधान में जैन दिवाकर श्री चौथमल मसा की 71 वीं पुण्यतिथि और मेवाड़ प्रवर्तक महाश्रमण मदन मुनि के देवलोकगमन पर नवकार मंत्र जाप, गुणानुवाद सभा व जीवदया कार्यक्रम किए गए। प्रचार मंत्री सुधीर जैन के अनुसार खातर महल में श्रावक श्राविकाओं द्वारा सामूहिक जाप के बाद गुणानुवाद सभा में अध्यक्ष हस्तीमल चौरडिय़ा,अम्बेश गुरु सेवा समिति अध्यक्ष हस्तीमल चंडालिया, वरिष्ठ श्रावक मनसुख पटवारी,ऋषभलाल सुराणा,डॉ आरएल मारू, जैन दिवाकर महिला परिषद की मीना बोहरा ने दोनों संतों का स्मरण करते हुए विचार रखे।
डा. मारू ने कहा कि जिस समय सोशल मीडिया तो दूर माइक तक की सुविधा नहीं थी। श्री चौथमल मसा के प्रवचन सुनने जनता उमड़ पड़ती थी। वर्ष 1950 में उनके देवलोकगमन की सूचना आल इंडिया रेडियो पर प्रसारित हुई थी। इसी तरह प्रवर्तक मदन मुनि ने संयम साधना के 71 वर्ष पूर्ण कर जिनवाणी प्रभावना की।
वह सरल स्वभावी, अच्छे लेखक औऱ प्रवचनकार रहे। वे भोले बाबा के नाम से विख्यात रहे। संचालन मंत्री अजीत नाहर ने किया। चार लोगस्य पाठ व मांगलिक के साथ समापन हुआ। कार्यक्रम में जैन दिवाकर संगठन समिति अध्यक्ष वल्लभ बोहरा, महिला परिषद अध्यक्षा अंगुरबाला भड़कत्या,सेंती संघ अध्यक्ष लक्ष्मीलाल चंडालिया आदि मौजूद थे। जैन दिवाकर महिला परिषद द्वारा खातर महल कबूतरखाना पर दो बोरी मक्की भेंट की गई। इसी तरह भामाशाह ने भी जीवदया के लिए दान घोषित किया।
13 वर्ष बाद श्रमण संघ के प्रवर्तकश्र्री का मंगल प्रवेश
बड़ीसादड़ी. तेरह वर्षों के अंतराल के बाद कविरत्न प्रवर्तक श्रीविजय मुनि ने नगर में मंगल प्रवेश किया, प्रवर्तकश्री के साथ उपप्रवर्तक अरुण मुनि एवं उप प्रवर्तक चन्द्रेश मुनि आदि ठाणा- 5 शुक्रवार को जरखाना मोड़ स्थित डॉ. सेंट्रल एकेडमी स्कूल से सुबह 8:30 बजे विहार कर कानोड़ दरवाजा, जैन मंदिर होते हुए जैन दिवाकर सामायिक भवन पहुंचे। जहां श्रावक एवं श्राविकाओं ने गुरुदेव के जयकरों के साथ स्वागत किया।

धर्मसभा में प्रवर्तकश्री विजय मुनि ने कहा कि जिस घर और संघ-समाज में एकता निवास करती है वहां धन-वैभव की कोई कमी नहीं होती। जहां कलह, अपमान, द्वेषता हो वहां हमेशा निर्धनता रहती है। सदबुद्धि का अभाव रहता है। बलिदानी झाला मन्ना की यह वीर भूमि उनके बलिदान की गाथा को हमेशा गुंजायमान करती रहेगी। उपप्रवर्तक अरुण मुनि ने कहा कि यह क्षेत्र हमेशा श्रद्धा वरण और भक्तिशील रहा है। यह भूमि महासती सज्जन कुंवर की पुण्य भूमि रही है।