
बच्चे जिस माहौल में रहते हैं वैसे ही उनका व्यक्तित्व निखरता है। आजकल एकल परिवारों के चलन के कारण बच्चे आत्म केंद्रित होते जा रहे हैं। आजकल के पैरेंट्स बच्चों को आउट स्पोकन बनाने के लिए और पर्सनेलिटी डेवलपमेंट के लिए तरह-तरह की क्लासेज़ कराते हैं। तब भी कुछ बच्चों में आत्मविश्वास की कमी रहती है, जिससे उनका सम्पूर्ण विकास नहीं हो पाता है।
बच्चों को समय दें

बच्चे दुनिया में सबसे ज्यादा भरोसा अपने पैरेंट्स पर करते हैं। लेकिन बच्चों को अगर इन्हीं भरोसेमंद लोगों का अभाव महसूस होने लगे तो वे किसी और से खुल कर बात नहीं कर पाते हैं। इसलिए बच्चों के साथ समय बिताना बेहद जरूरी होता है। उनके साथ खेलें, बातें करें। दिनभर के अनुभव पूछें और अपने अनुभव बांटें। उनकी इच्छाएं पूछें, घर पर ही उन्हें खुल कर अपने विचार रखने की अनुमति दें। हर बात में लंबे लंबे ज्ञान की पोटली न खोलें। वे बच्चे हैं, उन्हें उनकी भाषा में समझाएं। किसी कहानी की मदद से या फिर अन्य रचनात्मक तरीके से उन्हें सही गलत का ज्ञान कराएं। ऐसे बच्चे खुशी-खुशी जिंदगी जीना सीखते हैं और उनमें खुद ही आत्मविश्वास बढ़ जाता है।
बच्चों की तारीफ करना न भूलें

जब बच्चे लिखना शुरू करते हैं, तो वो चाहे कितना छोटा ही क्यों न हो, वे बदले में खूब सारी तालियां बजते हुए देखना चाहते हैं। क्योंकि वो छोटा सा ‘क’ लिखना उनके लिए महल बनाने के बराबर है। उनके स्तर पर जा कर उनके छोटे से दिल को समझें और उनके हर प्रयास की तारीफ करें, तालियां बजाएं और दूसरों के सामने भी उनके गुणगान करें। प्रयास ये होना चाहिए कि जो भी अच्छा काम बच्चे ने किया है उसे दोबारा वो उससे दुगुनी इच्छा से करे जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़े।
किसी और बच्चे से तुलना न करें
बच्चे खुद को बेस्ट समझें इसके लिए जरूरी है कि उनकी तुलना किसी अन्य बच्चे से कभी न करें। किसी महापुरुष की जीवनी या लोगों के अच्छे काम के बारे में बताएं जिससे वे प्रेरित हों। अन्य बच्चों से तुलना करने पर उनमें द्वेष पैदा हो सकता है, जिससे वे किसी नए काम को करने में संकोच करने लगते हैं और एक दबाव महसूस करते हैं। बच्चे से खुल कर बात करें और उन्हें ये समझाएं कि हर इंसान अलग होता है, सबकी अपनी खूबियां और खामियां होती हैं। इससे वो अपनी कमियों को भी सुधारने की कोशिश करेगा।
नई चीज़ें सिखाएं
बच्चों को उनके शौक और सामथ्र्य के हिसाब से नई चीज़ें सिखाएं जैसे पेंटिंग, डांसिंग, सिंगिंग या कोई भी ऐसी कला जिसमें उसकी दिलचस्पी हो। ऐसे करने से उन्हें एक नई स्किल सीखने का महत्व समझ में आता है और उनकी अंदरूनी ऊर्जा अच्छे कामों में लगती है, जिससे वे खुद के अंदर आत्मविश्वास का अनुभव करते हैं।
जोखिम और परिस्थिति को हैंडल करना सिखाएं
बच्चों की हर समस्या का समाधान कर देने से वे पूरी तरह से बड़ों पर निर्भर हो जाते हैं और किसी भी प्रकार का मुसीबत आने पर उसे झेल नहीं पाते। स्थिति को कैसे हैंडल करना है ये समझाएं। उनके सामने दीवार बनके न खड़े हों, बल्कि उनका सहारा बनें। जब बच्चा खुद से किसी समस्या का समाधान खोजेगा तो उसकी उत्सुकता बनी रहेगी और वो अंदर से किसी भी प्रकार की परिस्थिति से डरेगा नहीं बल्कि उसका डट कर सामना करेगा। ऐसा करने से उनमें एक नई एनर्जी और आत्मविश्वास बढ़ेगा।
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