
वास्तु शास्त्र में घर के सामान की दशा-दिशा के बारे में भी बात की जाती है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्र के दौरान अगर सही दिशा में घट स्थापना की जाए तो इससे घर का वास्तु दोष खत्म हो सकता है। सही दिशा में घटस्थापना करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
मान्यता है कि सही दिशा में घटस्थापना करने से परिवार के सदस्यों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। जो लोग घटस्थापना के दौरान दिशा का ध्यान नहीं रखते हैं उन्हें इसके अशुभ फल झेलने पड़ते हैं। इसलिए हमेशा घटस्थापना सही दिशा में ही करनी चाहिए। अगर आप सही दिशा में घटस्थापना करेंगे तो इससे परिवार के सदस्यों की उन्नति का रास्ता खुलता है।
घटस्थापना के लिए कौन-सी दिशा है सर्वोत्तम
वास्तु शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि घर के ईशान कोण में धार्मिक कार्य किए जाने चाहिए। ईशान कोण उत्तर दिशा और पूर्व दिशा के बीच के हिस्से को कहा जाता है। कहते हैं कि अगर इस दिशा में घटस्थापना की जाए तो इससे परिवार के सदस्यों को अनेकों शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि ईशान कोण में घटस्थापना करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती है और साथ ही उनकी विशेष कृपा भी प्राप्त होती है।

ईशान कोण में घटस्थापना न कर पाएं तो क्या करें
अगर आप ईशान कोण यानी उत्तर दिशा और पूर्व दिशा के बीच में घटस्थापना नहीं कर पा रहे हैं तो आपको उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में से किसी एक दिशा की ओर घटस्थापना करनी चाहिए। ईशान कोण के बाद उत्तर दिशा और पूर्व दिशा को ही उत्तम माना जाता है।
दक्षिण और पश्चिम में नहीं की जाती घटस्थापना
ऐसा माना जाता है कि दक्षिण दिशा नरकों के स्वामी यमराज की दिशा है। इसलिए ही अधिकतर पितरों से संबंधित और श्राद्ध से संबंधित कार्य दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके ही किए जाते हैं। इसलिए नवरात्र की घट स्थापना के लिए इस दिशा को शुभ नहीं माना जाता है। पश्चिम दिशा के लिए यह कहा जाता है कि वहां सूर्यास्त होता है इसलिए उस दिशा में नकारात्मक ऊर्जा अधिक होती है। इसलिए दक्षिण और पश्चिम दिशा में घटस्थापना करने के लिए मना किया जाता है।