इंडिपेंडेंस डे: पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से किया राष्ट्र को संबोधित

Independence Day PM Modi addresses the nation from the ramparts of the Red Fort
Independence Day PM Modi addresses the nation from the ramparts of the Red Fort

नई दिल्ली। 74 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने देश को संबोधित किया। पीएम मोदी ने आजादी के इस पावन पर्व की सभी देशवासियों को बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनाएं देते हुए अपने ऐतिहासिक संबोधन की शुरुआत की।

पीएम मोदी ने कहा, जो हम स्‍वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं, उसके पीछे मां भारती के लाखों बेटे-बेटियों, उनका त्‍याग, उनका बलिदान और मां भारती को आजाद कराने के संकल्‍प के प्रति उनका समर्पण, आज ऐसे सभी हमारे स्वातंत्र्य सेनानियों का, आजादी के वीरों का, नरबांकुरों का, वीर शहीदों का नमन करने का यह पर्व है।

इंडिपेंडेंस डे पर पीएम मोदी ने कहा के लाखों बेटे- बेटियां

हमारे फौज के जांबाज जवान, हमारे अर्धसैनिक बल, हमारे पुलिस के जवान, सुरक्षा बल से जुड़े हुए, हर कोई मां भारती की रक्षा में जुटे रहते हैं। सामान्‍य मानव की सुरक्षा में जुटे रहते हैं। आज उन सबको भी हृदयपूर्वक, आदरपूर्वक स्‍मरण करने का, उनके महान त्‍याग, तपस्‍या को नमन करने का पर्व है।

एक नाम और अरविंद घोष, क्रांति दूत से लेकर अध्‍यात्‍म की यात्रा, आज उनके संकल्‍प, उनकी जन्‍मजयंती है। हमें उनके संकल्‍पों को- हमारे संकल्‍पों को पूर्ण करने को उनकी तरफ से आशीर्वाद बना रहे। हम एक विशेष परिस्थिति से गुजर रहे हैं। आज छोटे-छोटे बालक मेरे सामने नजर नहीं आ रहे हैं- भारत का उज्‍ज्वल भविष्‍य। क्‍यों? कोरोना ने सबको रोका हुआ है।

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इस कोरोना के कालखंड में लक्षावधि कोरोना warriors चाहे doctors हों, nurses हों, सफाईकर्मी हों, ambulance चलाने वाले लोग हों… किस-किस के नाम गिनाऊंगा। उन लोगों ने इतने लंबे समय तक जिस प्रकार से ‘सेवा परमो धर्म:’ इस मंत्र को जी करके दिखाया है, पूर्ण समर्पण भाव से मां भारती के लालों की सेवा की है, ऐसे सभी कोरोना warriors को भी मैं आज नमन करता हूं।

इस कोरोना के कालखंड में, अनेक हमारे भाई-बहन इस कोरोना के संकट में प्रभावित हुए हैं। कई परिवार प्रभावित हुए हैं। कईयों ने अपनी जान भी गंवाई है। मैं ऐसे सभी परिवारों के प्रति अपनी संवेदनशीलता प्रकट करता हूं… और इस कोरोना के खिलाफ मुझे विश्‍वास है 130 करोड़ देश‍वासियों की अदम्‍य इच्‍छा शक्ति, संकल्‍प शक्ति हमें उसमें भी विजय दिलाएगी और हम विजयी होकर रहेंगे।

मुझे विश्‍वास है कि पिछले दिनों भी हम एक प्रकार से अनेक संकटों से गुजर रहे हैं। बाढ़ का प्रकोप खासकर कि north-east, पूर्वी भारत, दक्षिण भारत, पश्चिमी भारत के कुछ इलाके, कई landslide – अनेक दिक्‍कतों का सामना लोगों को करना पड़ा है। अनेक लोगों ने अपनी जान गंवाई है। मैं उन परिवारों के प्रति भी अपनी संवेदना व्यक्‍त करता हूं… और राज्‍य सरकारों के साथ कंधे से कंधा मिला करके – ऐसी संकट की घड़ी में हमेशा देश एक बनकर के – चाहे केंद्र सरकार हो, चाहे राज्‍य सरकार हो, हम मिलकर के तत्‍काल जितनी भी मदद पहुंचाने का प्रयास कर सकते हैं, सफलतापूर्वक कर रहे हैं।

मेरे प्‍यारे देशवासियो, आजादी का पर्व, हमारे लिए यह स्‍वतंत्रता का पर्व, आजादी के वीरों को याद कर-करके नए संकल्‍पों की ऊर्जा का एक अवसर होता है। एक प्रकार से हमारे लिए ये नई प्रेरणा लेकर के आता है, नई उमंग, नया उत्‍साह लेकर के आता है… और इस बार तो हमारे लिए संकल्‍प करना बहुत आवश्‍यक भी है, और बहुत शुभ अवसर भी है क्‍योंकि अगली बार जब हम आजादी का पर्व मनाएगें, तब हम 75वें वर्ष में प्रवेश करेंगे। ये अपने-आप में एक बहुत बड़ा अवसर है और इसलिए आज, आने वाले दो साल के लिए बहुत बड़े संकल्‍प लेकर के हमें चलना है- 130 करोड़ देशवासियों को चलना है। आजादी के 75वें वर्ष में जब प्रवेश करेंगे और आजादी के 75 वर्ष जब पूर्ण होंगे, हम हमारे संकल्‍पों की पूर्ति को एक महापर्व के रूप में भी मनाएगें।

मेरे प्‍यारे देशवासियो, हमारे पूर्वजों ने अखंड, एकनिष्‍ठ तपस्‍या करके, त्‍याग और बलिदान की उच्‍च भावनाओं को प्रस्थापित हुए हमें जिस प्रकार से आजादी दिलाई है, उन्‍होंने न्‍यौछावर कर दिया… लेकिन हम ये बात न भूलें कि गुलामी के इतने लंबे कालखंड में कोई भी पल ऐसा नहीं था, कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं था कि जब आजादी की ललक न उठी हो। आजादी की इच्‍छा को लेकर के किसी न किसी ने प्रयास न किया हो, जंग न की हो, त्‍याग न किया हो… और एक प्रकार से जवानी जेलों में खपा दी, जीवन के सारे सपनों को फांसी के फंदों को चूमकर के आहूत कर दिया। ऐसे वीरों को नमन करते हुए अद्भुत… एक तरफ सशस्त्र क्रांति का दौर, दूसरी तरफ जनआंदोलन का दौर… पूज्‍य बापू के नेतृत्‍व में राष्‍ट्रजागरण के साथ जनआंदोलन की एक धारा ने आजादी के आंदोलन को एक नई ऊर्जा दी और हम आजादी के पर्व को आज मना पा रहे हैं।