क्रिप्टोकरंसी को लेकर भारत की बड़ी तैयारी, रिजर्व बैंक अपनी अलग डिजिटिल करंसी लेकर आ रही

ऐसा माना जा रहा है कि आरबीआई का प्राइवेट ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस की तरह होगा जिसे सरकारी और प्राइवेट कंपनियां अपनी सुविधा के हिसाब से बना सकेंगी। हालांकि इस बारे में अभी कुछ ज्यादा नहीं कह सकते क्योंकि यह विचार अभी शुरुआती दौर में है।

दुनिया में क्रिप्टोकरंसी के जयकारे के बीच भारत भी इस पर बड़ी तैयारी कर रहा है. यह तो तय है कि दुनिया में जिस तरह से क्रिप्टोकरंसी का चलन बढ़ रहा है, उसे देखते हुए कोई भी देश इससे मुंह नहीं मोड़ सकता।

बस इसे अपनाने का तरीका अलग-अलग हो सकता है। भारत में क्रिप्टोकरंसी अभी न तो वैध है और न ही अवैध. इसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक अपनी अलग डिजिटल करंसी लेकर आ रही है. आरबीआई ने पहले ही कह दिया है कि इस पर काम चल रहा है।

भारत की पहली डिजिटल करंसी कैसी होगी, यह सबके लिए कौतुहल का विषय है। अभी तक के प्रचलन के मुताबिक अधिकांश क्रिप्टोकरंसी बैंकों से मुक्त होते हैं, पूरा ट्रांजेक्शन ऑनलाइन होता है, मुनाफा या घाटा ऑनलाइन ही भुगतना होता है।

ब्लॉकचेन पर क्रिप्टोकरंसी मौजूद होती है जिसे एक्सचेंज के माध्यम से खरीदना होता है। लेकिन भारत के क्रिप्टो का स्वरूप इससे बिल्कुल अलग होगा। पहली बात तो यह कैश की तरह होगा जिसे प्राइवेट ब्लॉकचेन पर जनरेट किया जाएगा। इसे खरीदने-बेचने के लिए भी ब्लॉकचेन होंगे जिसे रिजर्व बैंक रेगुलेट करेगा।

आरबीआई गवर्नर दास ने कहा था सेंट्रल बैंक क्रिप्टोकरंसी लाने के बारे में सोच रहा है

इस साल फरवरी में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा था कि सेंट्रल बैंक क्रिप्टोकरंसी लाने के बारे में सोच रहा है। फिलहाल कोई अपनी क्रिप्टोकरंसी लाने पर विचार चल रहा है।

उन्होंने कहा था देसी क्रिप्टोकरंसी अन्य क्रिप्टोकरंसी से अलग होगी लेकिन टेक्नोलॉजी के मामले में उन सभी क्रिप्टो से मुकाबला किया जाएगा। दास का कहना था कि जब पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरंसी का चलन जारी है तो भारत भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का पूरा फायदा उठाना
चाहता है।

ऐसा माना जा रहा है कि आरबीआई का प्राइवेट ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस की तरह होगा जिसे सरकारी और प्राइवेट कंपनियां अपनी सुविधा के हिसाब से बना सकेंगी। हालांकि इस बारे में अभी कुछ ज्यादा नहीं कह सकते क्योंकि यह विचार अभी शुरुआती दौर में है।।

क्रिप्टोकरंसी के बाजार पर अपना पूरा नियंत्रण रखना चाहता है रिजर्व बैंक

रिजर्व बैंक पूरी तरह से क्रिप्टोकरंसी के बाजार पर अपना नियंत्रण रखना चाहता है। अन्य क्रिप्टोकरंसी में यह बात नहीं है क्योंकि उनका नियंत्रण सेंट्रल बैंक के जरिये नहीं होता, कोई बैंक रेगुलेट नहीं करता। ऐसे में क्रिप्टोकरंसी में लगे पैसे का सोर्स पता नहीं चलता।

अगर किसी प्रकार का गबन होता है तो अपराधी को पकडऩा मुश्किल होगा। रिजर्व बैंक इन सभी आशंकाओं पर गौर करते हुए आगे बढ़ रहा है। इस बीच सरकार एक नई क्रिप्टोकरंसी बिल लाने वाली है। सरकार में इस बात पर भी राय चल रही है कि एक कमेटी बनाई जाए जो क्रिप्टोकरंसी के रेगुलेशन के बारे में सिफारिश दे। बाद में उस पर अमल करते हुए डिजिटल करंसी को हरी झंडी दे दी जाए।

सही ढंग से रेगुलेट करने के लिए कई एहतियाती कदम उठाएगी सरकार

पूर्व में सरकार के बयान देखें तो पता चलेगा कि क्रिप्टोकरंसी पर पूरी तरह से बैन की मंशा रही है। लेकिन बाद में कहा गया कि इसे सही ढंग से रेगुलेट करने के लिए कई एहतियाती कदम उठाए जाएंगे ताकि ग्राहकों का हित न बिगड़े. सरकार ने अलग-अलग कंपनियों से कहा है कि वे क्रिप्टोकरंसी में अपने निवेश या डीलिंग के बारे में जानकारी दे।

रिजर्व बैंक का एक सर्कुलर देखें तो पता चलेगा कि पहले उसने पेमेंट कंपनियों, बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से कहा था कि क्रिप्टोकरंसी में लेनदेन न करें क्योंकि यह प्रतिबंधित है।

अभी हाल में इसमें सुधार करते हुए इस आदेश को निरस्त मानने को कहा गया। रिजर्व बैंक ने यह सर्कुलर 6 अप्रैल 2018 को जारी किया था।

इसमें कहा गया था कि उसके रेगुलेशन के दायरे में आने वाली कंपनियों को क्रिप्टोकरंसी से संबंधित किसी भी तरह की सेवाएं देने से प्रतिबंधित किया जाता है। इनमें क्रिप्टो की खरीद फरोख्त से संबंधित खातों में आने जाने वाली राशि पर भी रोक लगाने को कहा गया था।

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