
नई दिल्ली। लद्दाख में चीन सीमा पर जारी विवाद को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में सरकार की तरफ से बयान दिया। राजनाथ ने कहा, स्वतंत्र भारत में भारत की सेनाओं ने देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च न्योछावर करने में कभी कोई कोताही नहीं बरती है। जैसा कि सदन इस बात से अवगत है कि भारत एवं चीन की सीमा का प्रश्न अभी तक अनसुलझा है। भारत और चीनकी सीमा का आचारिक और परम्परागत संरेखण चीन नहीं मानता है- कि यह सीमा-रेखा, ठीक प्रकार से स्थापित भौगोलिक सिद्धांतों पर आधारित है, जिसकी पुष्टि न केवल संधियों और समझौतों द्वारा, बल्किऐतिहासिकत्थयों औरपरिपाटियोंद्वारा भी हुई है। इससेदोनों देश सदियों से अवगत हैं।
जबकि चीन यह मानता है कि सीमा अभी भी औपचारिक रूप से निर्धारित नहीं है। साथ ही चीन यह भी मानता है कि ऐतिहासिक क्षेत्राधिकार के आधार पर जो परम्परागतप्रथागत सीमाहै, उसके बारे में दोनों देशों की अलग-अलग व्याख्या है। दोनों देश,1950 एवं 1960 के दशक में इस पर बातचीत कर रहे थे, परन्तु इस पर पारस्परिक रुप से स्वीकार्य समाधान नहीं निकल पाया।
इस पूरी अवधि के दौरान हमारे बहादुर जवानों नेजहाँ संयम की जरूरत थी वहां संयम रखा तथा जहाँ शौर्य की जरुरत थीवहां शौर्य प्रदर्शित किया। मैं सदन से यह अनुरोध करता हूँ कि हमारे सैनिकों की वीरता एवं बहादुरी की भूरि-भूरि प्रशंसा की जानी चाहिये। हमारे बहादुर जवान अत्यंत मुश्किल परिस्थतियों में अपने अथक प्रयास से समस्त देशवासियों को सुरक्षित रख रहे हैं।