20 लाख करोड़ के पैकेज में जिक्र नहीं होने से भारतीय पर्यटन उद्योग सदमे में

Tourism Industry
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पर्यटन उद्योग पिछले 5 दिन में घोषित किए गए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज में अपने लिए कुछ बेहतर की उम्मीद कर रहा था, लेकिन इस पैकेज में पर्यटन उद्योग का जिक्र भी नहीं किया गया।

भारत में संपूर्ण टूरिज्म, ट्रैवल और हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रीय एसोसिएशंस (ADTOI, ATOAI, FHRAI, HAI, IATO, ICPB, IHHA, ITTA, TAAI, TAFI) के पॉलिसी फेडरेशन के रूप में काम करने वाले फेडरेशन ऑफ एसोसिएशंस इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटेलिटी (फेथ) ने कहा कि भारतीय पर्यटन उद्योग अविश्वास और सदमे की स्थिति में चला गया है। भारतीय पर्यटन उद्योग पिछले 5 दिन में घोषित किए गए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज में अपने लिए कुछ बेहतर की उम्मीद कर रहा था, लेकिन इस पैकेज में पर्यटन उद्योग का जिक्र भी नहीं किया गया।

पर्यटन उद्योग पिछले 5 दिन में घोषित किए गए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज में अपने लिए कुछ बेहतर की उम्मीद कर रहा था

भारत का टूरिज्म, ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी उद्योग प्रत्यक्ष एवं परोक्ष तरीके से जीडीपी पर करीब 10 प्रतिशत के बराबर का प्रभाव रखता है। फरवरी से शुरू हुई परेशानियों के चलते अब तक एक तिमाही से ज्यादा बीत चुकी है, जब से इस उद्योग को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में आगे की तिमाहियों में भी इस उद्योग में नकदी आने की कोई संभावना नहीं दिख रही है, योंकि भारतीय पर्यटन उद्योग का अहम हिस्सा इस समय ध्वस्त है।

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अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक और भारत के ज्यादातर अहम पर्यटन केंद्रों पर पड़े दुष्प्रभाव के चलते अंतरराष्ट्रीय पर्यटक, देश के अंदर के पर्यटक व वीएफआर (दोस्तों या रिश्तेदारों के यहां जाने वाले) तथा देश से बाहर जाने वाले ज्यादातर पर्यटक अभी यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं। घरेलू यात्रा और देश के अंदर का कॉरपोरेट ट्रैवल लॉकडाउन के बाद थोड़ा बहुत शुरू हो सकता है, लेकिन बच्चों व बुजुर्गों की यात्रा पर लगे प्रतिबंध के कारण, नए सोशल डिस्टेंसिंग के प्रावधानों, कॉरपोरेट ट्रैवल पर लगी रोक और हॉलीडे सीजन बंद होने के कारण यह काफी हद तक सीमित ही रहेगा। इससे सभी लेजर, एडवेंचर, हेरिटेज, स्प्रिचुअल, क्रूज एवं अन्य संबंधित पर्यटन सेग्मेंट पर दुष्प्रभाव पड़ेगा।

20 लाख करोड़ के पैकेज में जिक्र नहीं होने से भारतीय पर्यटन उद्योग अविश्वास और सदमे की स्थिति में चला गया है।

मीटिंग में शामिल होने वालों की सं या सीमित किए जाने के कारण मीटिंग इन्सेंटिव ए जीबिशन और इवेंट सेग्मेंट पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा। इनके साथ-साथ सभी टूरिज्म सर्विस प्रोवाइडर, होटल, ट्रैवल एजेंट, टूर ऑपरेटर, टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर, रेस्टोरेंट, गाइड पर भी दुष्प्रभाव पड़ेगा और भारतीय पर्यटन उद्योग बहुत सीमित रूप में ही काम कर पाएगा, जिससे नकदी के आधार पर पर्यटन से जुड़ा ज्यादातर कारोबार अलाभकारी हो जाएगा।

इस स्थिति से बचने और कारोबार को बचाए रखने के लिए फेथ ने इस उद्योग के लिए ब्याज और कोलेटरल फ्री और लंबी अवधि के लोन की सिफारिश की थी, जिससे सभी को वेतन दिया जा सके और परिचालन लागत कम करने के लिए बिना किसी जुर्माने या अतिरि त याज के कम से कम 12 महीने के लिए सभी केंद्रीय एवं राज्य स्तर की वैधानिक देनदारियों व बैंकिंग देनदारियों से छूट देने की अपील की थी, लेकिन इन मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

एमएसएमई फंड का जो प्रस्ताव सरकार की ओर से दिया गया है, उसमें कई पाबंदियां हैं और उसका सीमित लाभ ही होगा। फेथ एवं इसके 10 सदस्य एसोसिएशंस (ADTOI, ATOAI, FHRAI, HAI, IATO, ICPB, IHHA, ITTA, TAAI, TAFI) लगातार पिछले 10 हफ्ते से सरकार के सभी घटकों, पीएमओ, वित्त मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, एविएशन मंत्रालय एवं पर्यटन मंत्रालय, आरबीआई, सभी 28 मुख्यमंत्रियों, नीति आयोग एवं अधिकारप्राप्त समूह-6 के साथ इस संबंध में बात कर रहे थे। भारतीय टूरिज्म, ट्रैवल एवं हॉस्पिटैलिटी से टर करीब 10 से 12 फीसद रोजगार पर असर डालता है, जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से 5 करोड़ से ज्यादा रोजगार बनता है।