
जयपुर। भारत में एसपीएएस तकनीक से छल्ला लगाने का स्ेटेंटिंग का पहला केस जयपुर के निम्स अस्पताल में प्रो. संदीप मिश्रा और उनकी हृदय रोग विशेषज्ञों की टीम द्वारा किया गया। पिछले कई वर्षों में एंजियोप्लास्टी प्रक्रियाओं में धीरे-धीरे सुधार हुआ है। नई तकनीकों ने इसकी प्रभाविकता और गुणवता में इजाफा किया है। वर्तमान में उपलब्ध टेक्नॉलोजी के साथ स्टेंट अक्सर सही लैंडिंग क्षेत्र के बाहर पहुंच जाते हैं। एक प्रकाशित शोध – एसटीएलएलआर परीक्षण से पता चला है कि कम से कम 30-45 प्रतिशत स्टेंट गलत जगह लगाए जा रहे हैं। विशेष रूप से ऑस्टियल पोजिशन में स्टेंट लगाना और स्टेंट-टू-स्टेंट प्रक्रियाएं सबसे चुनौतीपूर्ण होती हैं।
चुनौती पूर्ण था यह काम

स्टेंट पोजिशनिंग असिस्टेंस सिस्टम (एसपीएएस) एक नई तकनीक है जो रोबोट की तरह स्टेंट की स्थिति को सही जगह पर ठीक लगाती है जिसके परिणामस्वरूप मिमी दर मिमी सटीक स्टेंट पोजिशन होता है। इसको करने से एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया में समय भी कम लगता है, एक्स-रे एक्सपोजर भी कम होता है और कंट्रास्ट उपयोग में भी कमी आती है। डॉ संदीप मिश्रा और उनके डॉक्टरों की टीम डॉ. अमितेश नागरवाल] डॉ. नरेंद्र बैरवा और डॉ. आशा राम पांडा ने भारत में पहली बार निम्स अस्पताल जयपुर में एसपीएएस तकनीक स्टेंटिंग के एक दिन में 5 केस किए। इसमें से 1 केस लेफ्ट मास बिफरीकेशंस का था, जो एंजियोप्लास्टी की सबसे बड़ी चुनौतीपूर्ण स्थिति मानी जाती है और इसमें स्टेंट की सही पोजिशन अत्यधिक आवश्यक होती है। 2 केसेसे में चुना की मात्रा अधिक थी जो अपने आप में चुनौतीपूर्ण होता है। इसके बावजूद इस टेक्नोलोजी से पांचो में एंजियोप्लास्टी बहुत ही अच्छे से कार्यान्वित हुई। इस तकनीक के क्लिनिकल ट्रायल सत्र यूरोप और अमेरिका में अग्रणी इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट (आईसी) द्वारा पहले ही किए जा चुकी हैं और वे पुष्टि करते हैं कि एसपीएएस तकनीक ‘रोबोट-सटीक‘ स्टेंट हेरफेर और प्लेसमेंट को सटीक बनाती है और जिसके कारण 2022 में अमेरिका में फुड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा एसपीएएस को प्रमाणित किया है।
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