चीनी की मिठास पर महंगाई की मार

महंगाई
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कीमत 6 साल की रिकार्ड ऊंचाई पर

नयी दिल्ली । चीनी की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी देखने को मिल रही है। उत्पादन घटने से चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। उद्योग के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी रायटर्स को बताया कि भारत में चीनी की कीमतें दो हफ्तों में 6% से अधिक की तेजी देखी गई हैं और इसके आगे बढ़ने की संभावना है। चीनी के उत्पादन में गिरावट आ रही है और थोक उपभोक्ताओं की मांग बढ़ने की संभावना है। डीलरों ने कहा कि उच्च स्थानीय कीमतों से बलरामपुर चीनी, रेणुका शुगर्स, डालमिया भारत शुगर और द्वारिकेश शुगर जैसी चीनी निर्माताओं के मार्जिन में सुधार होगा, जिससे उन्हें किसानों को समय पर गन्ने का भुगतान करने में मदद मिलेगी।

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कीमतें 6 साल के रिकॉर्ड स्तर पर

उत्पादन में कमी और मांग बढ़ने से वैश्विक बाजार में चीनी की कीमत 6 साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है। जानकारों का कहना है कि यूक्रेन रूस संकट के बाद कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इसकी वजह से भारत समेत कई देश इथेनॉल बनाने में गन्ने का इस्तेमाल बढ़ा सकते हैं। इथेनाल का इस्तेमाल पेट्रोल में होता हैय़ इसके साथ ही न्यूयॉर्क में कच्चे शक्कर के भाव बढ़कर 23.46 सेंट प्रति पाउंड हो गए हैं। ये अक्टूबर 2016 के बाद का उच्चतम स्तर है।

महाराष्ट्र में उत्पादन में गिरावट के कारण बढ़ रही कीमतें

बॉम्बे शुगर मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक जैन ने कहा कि चीनी की कीमतें मुख्य रूप से शीर्ष चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन में गिरावट के कारण बढ़ रही हैं। डीलरों का अनुमान है कि 30 सितंबर को समाप्त होने वाले मार्केटिंग ईयर 2022/23 में महाराष्ट्र में लगभग 10.5 मिलियन टन का उत्पादन होने की संभावना है, जबकि पहले 13.7 मिलियन टन का अनुमान लगाया गया था। आने वाले महीनों में कीमतें और बढ़ेंगी क्योंकि गर्मी के मौसम की वजह से थोक खरीदारों की मांग बढ़ने की उम्मीद है।

गर्मियों के मौसम में बढ़ जाती है खपत

अप्रैल से जून तक चलने वाले गर्मी के महीनों के दौरान भारत में कोल्ड ड्रिंक्स और आइसक्रीम की खपत बढ़ने से चीनी की मांग बढ़ जाती है। शादियों के सीजन से गर्मी में भी मांग को बल मिलता है। एक ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म के साथ मुंबई के एक डीलर ने कहा कि पिछले साल कोविड-19 महामारी से बाधित होने के बाद मांग में फिर से उछाल आया है और इस मार्केटिंग वर्ष में रिकॉर्ड 28 मिलियन टन तक बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार अतिरिक्त निर्यात की अनुमति देने की संभावना नहीं है क्योंकि सीजन के लिए क्लोजिंग स्टॉक लगभग 5.5 मिलियन टन तक गिर सकता है, जो छह साल में सबसे कम है। भारत ने चीनी मिलों को चालू सीजन में केवल 6.1 मिलियन टन स्वीटनर का निर्यात करने की अनुमति दी है, जो पिछले सीजन के रिकॉर्ड 11 मिलियन टन से कम है।

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