शांतिपूर्ण तरीके से निकाला जाना चहिए कश्मीर मुद्दे का अंतिम समाधान’, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख का बयान

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 के शिमला समझौते को याद किया। उन्होंने महासचिव के हवाले से कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत कश्मीर मुद्दे का अंतिम समाधान शांतिपूर्ण तरीके से निकाला जाना चहिए और मानवाधिकारों का पूरा सम्मान किया जाना चाहिए। हक ने बुधवार को यहां एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, कश्मीर पर हमारा रुख अपरिवर्तित है।

भारत ने अगस्त 2019 में निरस्त किया अनुच्छेद 370

भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उसके अभिन्न अंग थे, हैं और हमेशा रहेंगे। पांच अगस्त 2019 को भारत ने संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया था। इसके अलावा, राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया। जिससे दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई।

दरअसल, एक फलस्तीनी पत्रकार ने कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की स्थिति के बारे में सवाल किया। पत्रकार ने इसके अलावा, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के पांच साल बाद कश्मीर की स्थिति के बारे में सवाल किया। जिसके जवाब में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के उप प्रवक्ता हक ने यह टिप्पणी की।

‘शांतिपूर्ण तरीके से निकले कश्मीर मुद्दे का समाधान’

हक ने गुटेरेस के हवाले से कहा कि जम्मू-कश्मीर से जुड़े मुद्दे का अंतिम समाधान संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार शांतिपूर्ण तरीकों से निकाला जाना चाहिए और मानवाधिकारों का पूर्ण सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थिति संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और लागू सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों द्वारा तय होती है। उन्होंने कहा कि महासचिव ने भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर 1972 में हुए शिमला समझौते का जिक्र किया।

शिमला समझौते में क्या प्रावधान हैं

शिमला समझौते पर 1971 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और तत्कालीन पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे। यह देशों के बीच एक द्विपक्षीय समझौता है और कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करता है। 1971 के शिमला समझौते में यह प्रावधान है कि दोनों पक्षों के बीच मतभेदों का समाधान शांतिपूर्ण तरीकों से और द्विपक्षीय बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए। भारत ने बार-बार कहा है कि वह आतंकवाद, शत्रुता और हिंसा से मुक्त माहौल में पाकिस्तान के साथ सामान्य पडोसी संबंध चाहता है।