नेपाल में भारत के सहयोग से पेट्रोलियम पाइपलाइन विस्तार का काम शुरू: ईंधन आपूर्ति होगी सुगम, बचेगी लागत

पाइपलाइन विस्तार
पाइपलाइन विस्तार

काठमांडू: नेपाल और भारत के बीच हुए एक महत्वपूर्ण समझौते के तहत, भारत सरकार के आर्थिक सहयोग से नेपाल में पेट्रोलियम पाइपलाइन विस्तार के दूसरे चरण का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। इस परियोजना का उद्देश्य ईंधन की आपूर्ति को सुगम बनाना, परिवहन लागत में भारी कटौती करना और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है।

वर्तमान में बिहार के मोतिहारी से नेपाल के अमलेखगंज तक बिछी पेट्रोलियम पाइपलाइन को अब चितवन जिले के लोथर तक विस्तारित किया जा रहा है। नेपाल ऑयल कॉर्पोरेशन (एनओसी) ने शुक्रवार को लोथर में परियोजना के क्षेत्रीय कार्यालय का उद्घाटन कर इस विस्तार की औपचारिक शुरुआत की। लोथर के राप्ती नगरपालिका-1 में लगभग 23 बीघा और 12 कट्ठा भूमि पर तीन महीने की भंडारण क्षमता वाला एक अत्याधुनिक ग्रीनफील्ड पेट्रोलियम डिपो भी बनाया जाएगा।

एनओसी के अनुसार, इस विस्तार के बाद पेट्रोलियम उत्पादों को सीधे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) के मोतिहारी डिपो से लोथर तक भेजा जा सकेगा। अमलेखगंज और लोथर के बीच 62 किलोमीटर के खंड पर 10.75 इंच की पाइपलाइन बिछाने का काम शनिवार से शुरू कर दिया गया है।

पाइपलाइन विस्तार
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परियोजना के प्रमुख इंजीनियर प्रदीप कुमार यादव ने बताया कि इस परियोजना को तीन साल के भीतर पूरा कर संचालित करने की योजना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नई पाइपलाइन से: पर्यावरणीय प्रभाव कम होगा। ईंधन की चोरी रुकेगी। मिलावट पर अंकुश लगेगा।

यादव ने यह भी आश्वासन दिया कि परियोजना स्थानीय लोगों के साथ समन्वय से काम करेगी, जिससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। सहायक प्रबंधक अनुपम पराजुली ने बताया कि यह पाइपलाइन 273 किलोलीटर प्रति घंटे की दर से पेट्रोलियम की आपूर्ति करेगी और इसके सालाना 20 लाख टन तक ईंधन के परिवहन की उम्मीद है। यह पाइपलाइन पूर्व-पश्चिम राजमार्ग के समानांतर चलेगी।

भंडारण क्षमता में वृद्धि लोथर में एक पाइपलाइन स्टेशन के साथ-साथ, विभिन्न पेट्रोलियम उत्पादों के भंडारण के लिए बड़े टैंक भी बनाए जाएंगे:

पेट्रोल: 11,000 किलोलीटर क्षमता वाले तीन वर्टिकल टैंक।

डीजल: 15,500 किलोलीटर की संयुक्त क्षमता वाले तीन टैंक।

मिट्टी का तेल: 800 किलोलीटर क्षमता वाले दो टैंक।

यह परियोजना नेपाल की ईंधन सुरक्षा को मजबूत करने और उसकी आर्थिक दक्षता को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत और नेपाल के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को भी दर्शाता है।

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