सऊदी-पाकिस्तान न्यूक्लियर डिफेंस डील: इजरायल को सीधा मैसेज

सऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौता
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  • सऊदी-पाकिस्तान रक्षा समझौता: एक पर हमला, दोनों पर हमला की नीति अपनाई गई
  • परमाणु हथियारों की छाया: पाकिस्तान की न्यूक्लियर ताकत समझौते का अहम हिस्सा
  • इजरायल के लिए चेतावनी: मिडिल ईस्ट में सुरक्षा समीकरण बदल सकते हैं

Saudi-Pakistan Defence Agreement: मिडिल ईस्ट में उथल-पुथल के बीच सऊदी अरब और पाकिस्तान ने ऐसा कदम उठा लिया है जिसने कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। दोनों देशों ने एक रणनीतिक रक्षा समझौते पर दस्तखत किए हैं, जिसके तहत अगर किसी एक देश पर हमला होता है, तो उसे दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। ये बिल्कुल वैसा ही प्रावधान है जैसा NATO जैसे सैन्य संगठनों में देखने को मिलता है।

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की रियाद यात्रा के दौरान इस अहम समझौते पर मोहर लगी। इस पर खुद सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और शरीफ ने हस्ताक्षर किए हैं।

इस डील की टाइमिंग बेहद खास मानी जा रही है, क्योंकि हाल ही में इजरायल ने कतर में हमास नेताओं को निशाना बनाकर हमला किया था। खाड़ी देशों में असुरक्षा का माहौल फैल गया है, खासतौर पर उन देशों में जो लंबे समय से अमेरिका की सुरक्षा छतरी के नीचे थे।

एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी ने ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ से अनौपचारिक बातचीत में संकेत दिया कि पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा इस समझौते का एक हिस्सा हो सकती है। उन्होंने कहा कि “खतरे की प्रकृति के आधार पर सभी सैन्य और रक्षात्मक उपायों का इस्तेमाल किया जाएगा।”

इजरायल की ओर से पिछले एक साल में ईरान, सीरिया, यमन, लेबनान और फिलिस्तीन तक हमले किए गए हैं। ऐसे में इस समझौते को इजरायल के लिए सीधा मैसेज माना जा रहा है – “मिडिल ईस्ट अब और चुप नहीं बैठेगा।”

पूर्व अमेरिकी राजनयिक जल्मय खलीलजाद ने इसे “खतरनाक समय में खतरनाक समझौता” बताते हुए चिंता जताई। उनका कहना है कि पाकिस्तान के पास ऐसे हथियार और डिलीवरी सिस्टम हैं जो इजरायल ही नहीं, अमेरिका तक को निशाना बना सकते हैं।