गाज़ा युद्ध पर ट्रंप की ‘गुप्त कूटनीति’, अरब नेताओं से हुई अहम बातचीत

गुप्त कूटनीति
गुप्त कूटनीति

🕊 गाज़ा युद्ध को समाप्त करने पर डोनाल्ड ट्रंप की कूटनीतिक पहल
🤝 पाकिस्तान, कतर समेत अरब नेताओं से बहुपक्षीय वार्ता
🔥 हमास पर तीखा हमला, युद्धविराम और बंधकों की रिहाई पर ज़ोर

Trump’s Secret Diplomacy: Talks With Arab : संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान जहां वैश्विक मुद्दों पर चर्चा चल रही थी, वहीं डोनाल्ड ट्रंप एक अलग ही मिशन पर थे। उन्होंने अचानक न्यूयॉर्क में एक विशेष बहुपक्षीय बैठक बुलाई, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ, कतर के अमीर शेख तमीम समेत कई मुस्लिम देशों के नेता शामिल हुए। बैठक का मकसद था – गाज़ा में चल रहे युद्ध को खत्म करने का रास्ता निकालना।

बैठक की शुरुआत में ही ट्रंप ने कहा, “यह मेरी आज की सबसे अहम बैठक है। हमने कई चर्चा की, लेकिन गाज़ा में शांति लाना इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता है।” उन्होंने माना कि ये युद्ध शायद इन नेताओं ने शुरू नहीं किया, लेकिन इसे मिलकर खत्म ज़रूर किया जा सकता है।

कतर के अमीर ने ट्रंप को इस पहल के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि अरब दुनिया इस संघर्ष को खत्म करने के लिए उनके नेतृत्व पर भरोसा कर रही है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हम यहां सिर्फ इसलिए हैं ताकि युद्ध रोका जा सके, बंधक वापस लाए जा सकें और गाज़ा के मासूम लोगों को राहत मिल सके।”

बैठक के बाद ट्रंप ने पत्रकारों के सवालों से दूरी बनाए रखी, लेकिन संक्षेप में कहा कि “बैठक बेहतरीन रही।” हालांकि, उन्होंने संकेत दिए कि कुछ ठोस नतीजे आने की उम्मीद की जा सकती है।

इससे पहले अपने यूएन संबोधन में ट्रंप ने हमास को “शांति के रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट” बताया। उन्होंने उन देशों की आलोचना की जो हाल ही में फिलिस्तीन को मान्यता देने की ओर बढ़े हैं। उनके अनुसार, ये कदम हमास के लिए एक इनाम की तरह होगा और इससे संघर्ष और गहरा सकता है।

ट्रंप ने 7 अक्टूबर के हमलों की याद दिलाते हुए कहा, “जो देश शांति चाहते हैं, उन्हें मिलकर कहना चाहिए – बंधकों को तुरंत रिहा किया जाए।” इस बयान के कुछ ही समय बाद ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, पुर्तगाल और ब्रिटेन समेत 10 देशों ने फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता दी, जिससे अमेरिका की स्थिति थोड़ी असहज हो गई है।