वाशिंगटन: अमेरिकी टैरिफ के 7 अगस्त को लागू होने से पहले, दक्षिण कोरिया, यूरोपीय संघ और जापान ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी से बचने के लिए अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण समझौते किए हैं। इन देशों ने अमेरिका में बड़े पैमाने पर निवेश और खरीदारी का वादा किया है।
समझौतों का विवरण:
दक्षिण कोरिया ने अमेरिका में 350 अरब डॉलर का निवेश करने और 100 अरब डॉलर की तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) खरीदने पर सहमति जताई है, ताकि उसे कम टैरिफ दरें मिल सकें।
यूरोपीय संघ ने 750 अरब डॉलर की अमेरिकी ऊर्जा खरीदने और अपनी कंपनियों द्वारा कम से कम 600 अरब डॉलर का निवेश करने का संकेत दिया है।
जापान ने अमेरिका में निवेश के लिए 550 अरब डॉलर का कोष स्थापित करने की घोषणा की है।
भारत ने टैरिफ और रूसी तेल पर अमेरिका को दिया जवाब
इन घटनाक्रमों के बीच, भारत ने अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा रूसी तेल आयात पर निशाना बनाए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि भारत ने 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद ही रूस से तेल आयात शुरू किया, क्योंकि उस समय “पारंपरिक आपूर्ति” यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी।
मंत्रालय ने अमेरिका और यूरोपीय संघ पर निशाना साधते हुए कहा कि जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे खुद रूस के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार कर रहे हैं। भारत ने यूरोपीय आयोग के 2024 के आंकड़ों का हवाला दिया, जिसमें रूस के साथ यूरोपीय संघ का द्विपक्षीय व्यापार 67.5 अरब यूरो (लगभग 78.1 अरब डॉलर) था। यह राशि भारत के कुल रूसी व्यापार से काफी अधिक है।
यह प्रतिक्रिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस धमकी के बाद आई है, जिसमें उन्होंने भारत पर और भी ज्यादा टैरिफ लगाने की बात कही थी। ट्रंप ने भारत पर रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदने और उसे भारी मुनाफे पर खुले बाजार में बेचने का भी आरोप लगाया था। मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, मार्च 2025 को समाप्त हुए वर्ष में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार रिकॉर्ड 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
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