
भारत के पूर्व राष्ट्रपति, अब्दुल कलाम ने कहा था, “महिलाओं का सशक्तिकरण न केवल परिवार और समाज के विकास को बढ़ावा देने में सहायक है, बल्कि राष्ट्र को प्रगति की ओर ले जाने में भी महत्वपूर्ण है”। ज्ञान सफलता की कुंजी है, और शिक्षा एक अधिकार है जिसके पुरुष और महिला दोनों हकदार हैं। किसी देश की साक्षरता दर उसकी प्रगति में एक महत्वपूर्ण कारक है, और एक शिक्षित समाज विकास के लिए आवश्यक है। समाज को शिक्षित बनाने में लड़कियों की महत्वपूर्ण भूमिका है और अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर हमें यह स्वीकार करना चाहिए की शिक्षा ही उनके सशक्तिकरण का मार्ग है।
लड़कियों को शिक्षित करने के पीछे क्या उद्देश्य है, और हम कौन से उल्लेखनीय परिणामों की आशा कर सकते हैं? गरीबी मिटाने के लिए शिक्षित होना जरूरी है, शिक्षित लड़कियां अपनी आजीविका चला सकती हैं और अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकती हैं।यह कमाई पोषण, भोजन, स्वास्थ्य देखभाल, स्कूल जैसे गतिविधियों पर खर्च होगी। जिससे गरीबी के चक्र को प्रभावी ढंग से तोड़ा जा सकता है और परिवार का स्वस्थ जीवन सुनिश्चित हो सकता है। इसके अलावा, शिक्षा हमें लैंगिक समानता हासिल करने के अपने लक्ष्य के करीब जाने में मदद करती है।
शिक्षित लड़कियां आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने और वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता रखती हैं। एक शिक्षित लड़की के ज्ञान और कौशल के जरिए उसके पूरे परिवार और समग्र रूप से समाज को प्रबुद्ध कर सकते हैं। पिछले डेढ़ दशक से, एजुकेट गर्ल्स संस्था लड़कियों को शिक्षा से जोड़ने का कार्य कर रही हैं। हमारे प्रयास देश के चार राज्यों – राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के 21 हजार से अधिक गाँवों तक फैले हुए हैं, जहां बड़ी संख्या में लड़कियां शिक्षा से वंचित हैं। संस्था ने सबसे पहले राजस्थान के पाली जिले में लड़कियों को शिक्षा से जोड़ने का कार्य शुरू किया था। लड़कियों की शिक्षा में निवेश का असर राजस्थान के पाली जिले में देखा जा सकता है।
वर्ष 2019-2021 के आंकड़ों पर नजर डालें तो, पाली में स्वास्थ्य और शिक्षा संकेतकों में 5 प्रतिशत अंकों की वृद्धि देखी गई है, जो राजस्थान के औसत से अधिक है। राज्य के अन्य जिलों की तुलना में स्कूल जाने वाली लड़कियों की संख्या में औसतन 3.5 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई है। जहां बाल विवाह में पाली जिले में राज्य के औसत से 7 प्रतिशत अंक की कमी आई है वहां लिंगानुपात में 3 प्रतिशत अधिक सुधार हुआ है।
बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों के माध्यम से, हमने उल्लेखनीय परिवर्तन देखे हैं। लड़कियों के अधिकारों में निवेश की नींव उनकी शिक्षा के मौलिक अधिकार में निहित है। शिक्षा तक उनकी पहुंच को प्राथमिकता देकर हम उनमें अपने अधिकारों की वकालत करने का साहस पैदा कर सकते हैं। अगर हम चाहते हैं की हमारे समाज का भविष्य बेहतर बने, तो हमें यह सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए कि लड़कियों को अच्छी शिक्षा मिले।