
प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद में ब्लड प्रेशर का सामान्य होना जरूरी है। जिन महिलाओं का बीपी पहले से ही हाई होता है, उन्हें डिलीवरी के बाद भी हाई बीपी की समस्या हो सकती है। बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं के शरीर में कई तरह के शारीरिक और हार्मोनल बदलाव होते हैं। इनमें से एक आम समस्या पोस्टपार्टम हाइपरटेंशन है, जो डिलीवरी के बाद हाई बीपी की समस्या को दर्शाता है। अगर ये समस्या लंबे समय तक रहती है तो महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। आज हम आपको अपने इस लेख में पोस्टपार्टम हाइपरटेंशन के बारे में बताने जा रहे हैं। इसके कारण और बचाव के तरीके भी बताएंगे।
पोस्टपार्टम हाइपरटेंशन के कारण

अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रही हो, तो डिलीवरी के बाद भी यह समस्या बनी रह सकती है।
इसके अलावा डिलीवरी के बाद शरीर में हार्मोन का स्तर अचानक बदलता है, जिससे ब्?लड प्रेशर प्रभावित हो सकता है।
नवजात शिशु की देखभाल में महिलाओं को पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती, जिससे मानसिक और शारीरिक तनाव बढ़ता है। यह भी हाई बीपी का एक कारण हो सकता है।
अगर डिलीवरी के समय कुछ खास दवाएं जैसे पेन किलर या एनेस्थीसिया दी गई हों, तो उनका प्रभाव भी कुछ समय तक हाई ब्लड प्रेशर बनाए रख सकता है।
वहीं जो महिलाएं पहले से ही ज्यादा वजन की होती हैं या उनका खानपान असंतुलित होता है, उनमें यह समस्या और भी ज्यादा देखने को मिलती है।
कुछ महिलाओं में किडनी से जुड़ी समस्याओं के कारण भी डिलीवरी के बाद हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बन सकती है।
इन बीमारियों का बढ़ सकता है खतरा
ब्रेन स्ट्रोक- हाई बीपी की समस्या से ब्रेन स्?ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
दिल से जुड़ी बीमारी- दिल की धडक़न अनियमित हो सकती है। अटैक भी पड़ सकता है।
किडनी फेलियर- अगर बीपी बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो किडनी पर भी नकारात्मक असर देखने को मिलते हैं।
ऐसे करें कंट्रोल
संतुलित आहार लें
नमक का सेवन कम करें।
डाइट में हरी सब्जियों को शामिल करें।
कैफीन और जंक फूड से बना लें दूरी।
व्यायाम और योग करेंं।
गहरी सांस लेने का प्रयास करें।
पैदल चलें।
वजन कंट्रोल रखें।
नींद पूरी करें और तनाव कम करें।
दवाओं का सही उपयोग करें।
समस्या बढऩे पर डॉक्टर से सलाह जरूरी।
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