
जयपुर । जगदीप धनखड़ के उप राष्ट्रपति चुने जाने के बाद जयपुर में भी ख़ुशी की लहर है । जगदीप धनखड ने राजस्थान हाईकोर्ट में दस साल तक वक़ालत की । धनखड़ 1986 से 1987 तक राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। धनखड ने सैनिक स्कूल से पढ़ाई की उसके बाद उन्होंने वकालत का फ़ैसला किया उन्होने 1979 में राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच को वकालत के लिए चुना। जगदीप धनखड़ राजस्थान बार कौंसिल के भी सदस्य रहेl इससे पूर्व धनखड राजस्थान हाईकोर्ट की बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे। राजस्थान हाईकोर्ट में 15 साल से वकालत कर रहे वकील ललित शर्मा कहते है – धनखड़ साहब को क़ानून की गहरी समझ है। धनखड़ सर फ़ाइल का आउटकम बहुत ही कम समय में बता देते थे। एडवोकेट ललित शर्मा कहते हैं कि वे अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड के सानिध्य में काम करने का मौक़ा मिला है ।
संयुक्त अधिवक्ता परिषद की प्रदेश अध्यक्ष सुषमा पारीक कहती है कि यह हमारे लिए गौरव का क्षण है कि हमारी बार का एक सदस्य आज उप राष्ट्रपति बना है । उन्होंने इस मौक़े पर धनखड को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। राराजस्थान हाईकोर्ट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ऋतुराज शर्मा ने भी धनखड के उपराष्ट्रपति चुने जाने पर हर्ष उल्लास व्यक्त किया है और उन्होंने कहा कि यह जयपुर के लिए बहुत ही गौरव शाली क्षण है।धनखड के इस पद पर चुने जाने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में भी ख़ुशी की लहर है राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भुवनेश शर्मा ने बहुत ही ख़ुशी ज़ाहिर की है।
ललित शर्मा और प्रवीण बलवदा के अनुसार – देश के उप राष्ट्रपति चुने गए धनखड़ जहाँ आम आदमी के वक़ील रहे वहीं उन्होंने सलमान ख़ान रतन टाटा इस्माइल मर्चेंट के साथ कई बड़े राजनेताओं, धन्नासेठों की भी वकालत की साथ ही वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्यस्थता के लिए भी जाने जाते रहे हैं वे आम आदमी और ग़रीब के लिए बिना पैसे के भी पैरवी करने के लिए राजस्थान में प्रसिद्ध रहे। राजस्थान हाईकोर्ट के एडवोकेट और बार कौंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष प्रवीण बलवदा , जो कि उपराष्ट्रपति धनखड के लीगल प्रोफ़ेशनल उत्तराधिकारी भी हैं ,साथ ही उनके कई वर्ष तक जूनियर रहे और उनकी पत्नी डॉक्टर सुदेस धनखड करके छोटे भाई भी है वे कहते हैं कि जगदीप धनकड़ बहुत ही मेहनती है और एक आम आदमी की भी वकालत करने में उन्हें गर्व महसूस होता था वे आम आदमी के वक़ील रहे प्रत्येक कार्य को बहुत शिद्दत के साथ करते थे और प्रत्येक व्यक्ति के एप्रोच में रहे । बलवदा ने बताया कि 10 साल की प्रैक्टिस के बाद ही वे देश का ऐसा पहला केस है जो सीनियर एडवोकेट बने ।
अपने वकालत की इंटर्नशिप करने के लिए जगदीप धनखड़ से जुड़े एडवोकेट ललित शर्मा कहते हैं कि उन्हें अगर चलता फिरता एन्साइक्लोपीडिया कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी उन्हें बड़ा सा बड़ा जजमेंट पढ़ने में कुछ ही समय लगता था वे उसका फ़ाइनल आउट काम बहुत ही बहुत ही जल्दी समझा देते थे।