
सूर्यनगरी ने तीव्र विकास के सपने संजोए हैं
सरकार ध्यान दे तो जोधपुर का हो कायाकल्प
- जोधपुर एवं जैसलमेर के बीच एक पर्यटक आकर्षक केन्द्र की आवश्यकता
- पोखरण में पर्यटन नगरी बनाए जाने का प्रस्ताव केन्द्रीय प्रोजेक्ट में शामिल, लेकिन उपेक्षित
- पर्यटन नगरी हेतु 2 हजार बीघा भूमि आरक्षित
- जनसहभागिता (पीपीपी मोड) से परिकल्पना का मूर्त रूप संभव, आपदा को अवसर में बदलने का सही समय
- राजस्थान ने 30 साल में नई सोच के साथ पर्यटन के क्षेत्र में बहुआयामी प्रगति की
राज्य के पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने हाल में कहा है कि राजस्थान पर्यटन का दोहन मात्र 20 प्रतिशत ही कर पाया है। 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने जोधपुर और पश्चिमी राजस्थान का भ्रमण कर कहा कि मारवाड़ क्षेत्र की पर्यटन संभावनाओं का मात्र एक प्रतिशत उपयोग हुआ है। एनके सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधान सचिव रहे हैं व जोधपुर के दामाद हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने का एक सरल सूत्र है कि पर्यटक के रात्रि विश्राम कैसे बढ़े उसकी व्यवस्था करना।

राजस्थान ने यद्यपि गत 30 वर्षों में एक नई सोच के साथ पर्यटन के क्षेत्र में बहुआयामी प्रगति की है व राष्ट्रीय स्तर पर कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या व उनके रात्रि विश्राम बढ़ाने में वांछित अभिवृद्धि नहीं कर पाया है। हम मुख्यतया: मात्र हमारी विरासत पर ही निर्भर कर रहे हैं व नए पर्यटक के आकर्षण केन्द्र स्थापित करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। हमारी धरोहर व संस्कृति की एक सीमा है।
पर्यटन के क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की गुणवत्ता व विस्तार सीमित

हमारे पर्यटन के क्षेत्र पर स्थित मूलभूत सुविधाओं की गुणवत्ता व विस्तार भी सीमित है। यदि हम पश्चिमी देशों अथवा पूर्वी देश सिंगापुर, मलेशिया आदि के पर्यटन पर दृष्टि डालें तो पाएंगे कि मानव निर्मित अति आधुनिक संरचना वहां भारी संख्या में अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करती है। भरपूर रेगिस्तान में बसाई गई ‘लॉस बेगास’ नगरी तो एक बहुत पुराना उदाहरण है। अब तो हांगकांग में वैसे ही संरचना की पुनरावृत्ति हुई है। ‘डिज्नी वर्ड’ जैसी मनोरंजक नगरी, जहां पर्यटकों को 7 दिन भी कम महसूस होते हैं, अब विश्व के कई भागों में बन चुके हैं। यूरोपीय देशों में, जहां विरासत व प्रकृति सौंदर्य बहुतायत में है, वहां भी आधुनिक म्यूजियम भारी भीड़ आकर्षित करते हैं। उदाहरण के लिए मिनी यूरोप, स्पायर, म्यूजियम, मर्सिडिज बैंज म्यूजियम। हमारे यहां कोटा शहर में दुनिया के सात आश्चर्यों की प्रतिकृति बनाकर ऐसा ही एक लघु पर्यटक आकर्षण केन्द्र बनाने का प्रयास किया गया है। अच्छा होता राजस्थान पर्यटन विभाग वृहद स्तर पर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का मिनि इंडिया बनाने का कदम उठाता।
जोधुपर-जैसलमेर के बीच प्रभावी आवागमन के साधन नहीं

पश्चिमी राजस्थान पर एक दृष्टि डालें तो जोधुपर एवं जैसलमेर दो बड़े पर्यटक स्थल प्रसिद्ध हैं। जोधुपर से जैसलमेर के बीच लगभग 280 किमी के बीच न कोई प्रभावी आवागमन के साधन है और न ही कोई पर्यटन का आकर्षण केन्द्र। यह दृष्टिगत रखते हुए तत्कालीन संभागी आयुक्त, जोधपुर आरके जैन ने अपने पर्यटन विभाग में दी गई सेवाओं के अनुभव के आधार पर तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव एवं प्रबंध निदेशक, राज. पर्यटन विकास निगम को दिनांक 5, जून 2012 को एक पत्र लिखकर पोखरण में एक पर्यटन रगरी बनाने का प्रस्ताव प्रेषित किया था।
जोधपुर-जैसलमेर के बीच पर्यटन आकर्षण केन्द्र नहीं

अपने पत्र में उन्होंने उल्लेख किया था कि जोधपुर एवं जैसलमेर के बीच कोई पर्यटन आकर्षण केन्द्र नहीं है। दोनों महत्वपूर्ण शहरों के बीच स्थित मरुस्थलीय पोखरण के पास एक विशाल ‘पर्यटन नगरी’ विकसित किए जाने की अच्छी संभावना है। उन्होंने बताया कि इस हेतु लगभग 2 हजार बीघा सरकारी भूमि चिह्नित कर आरक्षित भी कर दी गई है। पोखरण में राजीव गांधी नहर से पानी भी उपलब्ध होने लगा है। उन्होंने लिखा कि इस पर्यटन नगरी की संरचना ‘लास वेगास’ व ‘डिज्नी लैंड’ की तर्ज पर की जाए, जहां मनोरंजन और आमोद-प्रमोद के आधुनिक साधन उपलब्ध हों। 15 हजार से अधिक कमरों के होटल, कन्वेंशन सेंटर, मीटिंग हॉल, थियेटर, खेलकूद, डेजर्ट सफारी, कैमल सफारी, केसीनो, म्यूजियम, एयर स्ट्रिप, हैलीपैड आदि की इसमें व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही इसमें भारत का प्रसिद्ध हैल्थ टूरिज्म, भारतीय संस्कृति की विविधता, दर्शक मंडप हस्त कलाकारों की प्रदर्शनी की व्यवस्था का समावेश भी हो। चूंकि पोखरण रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। अत: यह स्थान पैलेस ऑन व्हील से भी जुड़ सकेगा।
प्रस्ताव की सराहना कर चुकी हैं तत्कालीन पर्यटन मंत्री बीना काक

उक्त प्रस्ताव में उल्लेख किया गया था कि इसे प्राइवेट पब्लिक पार्टनर शिव के आधार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन दिया जाकर निजी कंपनियों के माध्यम से मूर्तरूप दिया जा सकता है। प्रस्ताव में उल्लेखित है कि तत्कालीन पर्यटन मंत्री बीना काक ने इस प्रस्ताव को सराहनीय बताकर पर्यटन विभाग को प्रेषित करने का सुझाव दिया है। प्रस्ताव में यह भी बताया गया था कि तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, भारतीय पर्यटन विकास निगम डॉ. ललित के. पंवार ने पर्यटन विभाग, भारत सरकार के तत्कालीन अतिरिक्त सचिव से चर्चा कर अवगत कराया कि वे ऐसे किसी प्रस्ताव के राज्य सरकार से प्राप्त होने पर अंतरराष्ट्रीय विज्ञापन देने में सहयोग करेंगे। संभागीय आयुक्त के उक्त पत्र में आंध्रप्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा इस प्रकार की योजना के लिए पीपीपी तर्ज पर जारी विज्ञापन की प्रति भी संलग्न की गई थी।
जोधपुर को मिल सकता है विश्व पर्यटन के मानचित्र पर बड़ा स्थान
कालांतर मेें इस योजना को केन्द्र सरकार की ओर से प्रस्तावित ‘डेजर्ट सर्किट प्रोजेक्ट’ में शामिल कर लिया गया था, लेकिन आज यह महत्वाकांक्षी योजना जो पश्चिम राजस्थान के विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। अनेकानेक युवाओं के रोजगार का साधन बन सकती है व जोधपुर को विश्व पर्यटन के मानचित्र पर एक बड़ा स्थान दिलवा सकती है। कोविड महामारी ने पर्यटकों के आवागमन व पर्यटन व्यवसाय को बहुत अवरुद्ध किया है, लेकिन यही समय है कि हम हमारे पर्यटन स्थलों को आधारभूत सुविधाओं को सुदृढ़ करने व आधारभूत ढांचे के निर्माण में जुट जाएं। यदि जन भागीदारिता के सिद्धांत पर इस दिशा में प्रयास किया जाए तो धन राशि की कमी रुकावट नहीं बन सकेगी। आवश्यकता इस आपदा को कुशलता से अवसर में बदलने की है।
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