जो बाइडेन को अब भी नहीं मिल रही है इंटेलिजेंस ब्रीफिंग

वॉशिंगटन। राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आए दो हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं। लेकिन, डोनाल्ड ट्रम्प हार मानने तैयार नहीं हैं। जो बाइडेन को 306 इलेक्टोरल वोट मिल चुके हैं। 2016 में ट्रम्प को जब इतने ही वोट मिले थे तो उन्होंने इसे भारी बहुमत बताया था।

अब वे नतीजों को खारिज ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि अमेरिकी सुरक्षा हितों को भी खतरे में डाल रहे हैं। सत्ता हस्तांतरण करने को तैयार नहीं हैं। बाइडेन और कमला हैरिस को इंटेलिजेंस ब्रीफिंग नहीं दी जा रही। कुल मिलाकर ट्रम्प अपनी जिद से जो माहौल बना रहे हैं वो अमेरिका के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

परंपरा तोड़ चुके हैं

सीएनएन ने इस मामले पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में सत्ता हस्तांतरण चुनाव नतीजों के फौरन बाद शुरू हो जाता है। बाइडेन तो टीम बना चुके हैं। लेकिन, ट्रम्प के आदेश से मजबूर अफसर उन तक जानकारियां नहीं भेज पा रहे।

राष्ट्रपति ही मिलिट्री का कमांडर इन चीफ होता है। उसको व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में बैठने से पहले बेहद संवेदनशील मामलों की गहराई से जानकारी करीब दो महीने पहले ही दी जाने लगती है। ऐसे में बाइडेन को अब तक इंटेलिजेंस ब्रीफिंग न मिलना कहीं न कहीं अमेरिका के सुरक्षा हितों से खिलवाड़ जैसा है।

इंटेलिजेंस ब्रीफिंग पर कमेटी

आमतौर पर इंटेलिजेंस एजेंसियां सीनेट की एक कमेटी को जानकारी देती हैं। हालांकि, बेहद गोपनीय और अति संवेदनशील इंटेलिजेंस ब्रीफिंग राष्ट्रपति और कुछ खास लोगों तक ही पहुंचती है। अब तक डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस को ट्रम्प ने आदेश नहीं दिया कि वे बाइडेन को खुफिया मामलों की जानकारी दें।

इससे खतरा ये है कि जब बाइडेन राष्ट्रपति बनेंगे शायद वे फौरन फैसले न ले पाएं। बिल क्लिंटन और जॉर्ज बुश के दौर में सीआईए की कमान संभाल चुके डेविड कहते हैं- ये खतरनाक स्थिति है। इसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ सकता है।

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