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जयपुर रत्न व रत्नाभूषण उद्योग की वर्तमान स्थिति पर विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से
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उद्योग को अधिक प्रतिस्पर्धी, महिला कारीगरों को प्रोत्साहन देने सहित कई प्रस्ताव हुए पारित
जयपुर। जयपुर रत्न व रत्नाभूषण उद्योग की वर्तमान स्थिति पर विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से जयपुर ज्वैलरी शो (जेजेएस) एवं ज्वैलर्स एसोसिएशन, जयपुर की संयुक्त कार्यकारिणी सभा का आयोजन किया गया। इस बैठक के दौरान सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव पारित किए गए, जिसमें जयपुर जवाहरात उद्योग की परंपरागत महारत को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने, उद्योग को रोजगार उन्मुख बनाने, महिला कारीगरों को प्रोत्साहन देने, कारीगरों को बेहतर प्रशिक्षण देने के साथ-साथ युवा एवं नवीन कारीगरों के लिए मंच तैयार करने का प्रयास आदि प्रस्ताव शामिल थे।
अपने स्वागत संबोधन में जेजेएस चेयरमैन, विमलचंद सुराणा ने कहा कि जवाहरात उद्योग को मिल रही चुनौतियों का दोनों संगठनों द्वारा मिलकर समाधान निकालना समय की मांग है। साथ ही उन्होंने जवाहरात कारीगरों के लिए रोजगार के अवसर पाने के लिए सुनहरा अवसर भी बताया। वहीं जेजेएस सचिव, राजीव जैन ने आगे कहा कि जयपुर दशकों से पन्ना (एमराल्ड) की राजधानी के रूप में विश्व में प्रसिद्ध है। अब समय आ गया है कि माणक (रूबी) के लिए विशेष प्रयास किए जाए। इसी को ध्यान में रखते हुए जेजेएस की इस वर्ष की थीम भी रूबी है।
ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, आलोक सौंखिया ने कहा जयपुर के कारीगरों की रत्न तराशने के हुनर से पूरा विश्व अवगत है। परंतु इस कला को तकनीकी सहयोग भी चाहिए। इसके लिए अन्य देशों की विकसित तकनीक, अनुसंधान और रिसर्च को यहां लाने की जरूरत है। निर्मल बरड़िया ने कहा कि बदलते व विश्व बाजार में मंदी के बावजूद भारतीय घरेलु बाजार में जबरदस्त संभावना है। उसे जयपुर का रत्न व रत्नाभूषण उद्योग ही पूरा कर सकता है। इसके लिए मैन्युफैक्चरिंग ढांचागत विकास जरूरी है। वहीं दिनेश खटोरिया ने एमराल्ड के प्रति बढ़ते रूझानों के चलते ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए अधिक पारदर्शिता और ट्रीटमेंट सर्टिफिकेट से प्रमाणित किया जाना चाहिए। वहीं विजय केड़िया ने चारदीवारी क्षेत्र में कारीगरों को अधिक ट्रेनिंग की आवश्यकता बताई।
सचिव, नीरज लूणावत ने कारीगरों के प्रशिक्षण, बेहतर मज़दूरी, सुरक्षित भविष्य के लिए अन्य उद्योगों से जवाहरात कारीगरों को अधिक आकर्षक बताते हुए दीर्घकालीन योजना को प्रस्तुत करने का प्रस्ताव रखा। कमल कोठारी ने कहा कि एमराल्ड को हाल ही में बड़ी शादी में जबरदस्त ब्रांडिग से इस रत्न की काफी लोकप्रियता बढ़ी। जेजेएस के अजय काला ने माणक (रूबी) के ट्रीटमेंट में बैंकाक पर निर्भरता को खत्म करने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि विभिन्न लैब द्वारा समान भाषा लिखे जाने की भी महती जरूरत है।