कमला हैरिस का ट्रम्प पर हमला, कहा-ट्रम्प ने कोरोना महामारी को गंभीरता से नहीं लिया

कैलिफोर्निया की सीनेटर ने कहा कि वे सिर्फ हेल्थ एक्सपर्ट और वैज्ञानिकों की बात पर भरोसा करेंगी

वॉशिंगटन। अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस ने कोरोना महामारी पर सीधे ट्रम्प को घेरा है। उन्होंने कहा कि ट्रम्प ने शुरू से ही इस महामारी को गंभीरता से नहीं लिया। वह भरोसे के काबिल नहीं है, उन्होंने कोरोना पर बहुत झूठ बोला है।

ट्रम्प ने हेल्थ एक्सपर्ट्स का मजाक उड़ाया

सीएनएन को दिए गए एक इंटरव्यू में हैरिस ने कहा, महामारी की शुरुआत में ट्रम्प इसे अफवाह बताते थे। उन्होंने हेल्थ एक्सपर्ट्स का मजाक उड़ाया। अगर वह वैज्ञानिकों और एक्सपर्ट्स की सुनते तो वह इसकी गंभीरता समझते।

ट्रम्प ने चुनाव से पहले अक्टूबर में वैक्सीन आ जाने की बात कही है। इस पर हैरिस ने कहा, हमें समझना चाहिए कि महामारी की शुरुआत से ट्रम्प ने जो कहा है, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। मुझे ट्रम्प पर भरोसा नहीं है। मैं हेल्थ एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिकों की बात पर भरोसा करूंगी।

व्हाइट हाउस ने आरोप नकारे

व्हाइट हाउस ने हैरिस के आरोपों का नकारा है। कैलिफोर्निया की सीनेटर हैरिस ने ट्रम्प पर वैक्सीन को लेकर राजनीति करने का भी आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि वैक्सीन इस साल के अंत या अगले साल तक आ सकती है। लेकिन, ट्रम्प जल्दबाजी दिखा रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपना चेहरा चमकाना है। हैरिस ने इस दौरान चुनावों पर रूस का दखल और दूसरे मुद्दों पर भी बात की।

अमेरिका में नस्ल के आधार पर भेदभाव – हैरिस

हैरिस ने इस दौरान अफ्रीकन-अमेरिकन पर पुलिस की क्रूरता पर भी बात की। उन्होंने कहा कि हमें इस मामले में ईमानदार रहना होगा और यह मानना होगा कि हमारे देश में नस्ल के आधार पर बहुत भेदभाव है। अमेरिका के मिनेपोलिस में जॉर्ज फ्लायड, लुइसविले में ब्रेओना टेलर, केनोसा में जैकब ब्लेक और रोचेस्टर में डेनियल पर्ड्यू के खिलाफ पुलिस कू्ररता को लेकर प्रदर्शन चल रहे हैं।

हमारे यहां न्याय के लिए दो सिस्टम

हैरिस ने कहा- ट्रम्प और अटॉर्नी जनरल विलियम बार वास्तविकता से दूर हैं। अमेरिका की हकीकत वो है जो हमने कई पीढिय़ों से देखा है। हमारे यहां न्याय के लिए दो सिस्टम है। इससे पहले बार ने अमेरिका में नस्लीय भेदभाव की बात से इनकार किया था। उन्होंने कहा था- हमारे न्याय के लिए एक ही सिस्टम है। देश में अश्वेतों पर पुलिस फायरिंग की घटना नस्ल के आधार पर भेदभाव की वजह से नहीं है।