जानें हिंदू धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत का महत्व, सोम प्रदोष व्रत 7 जून को

सोमवार के दिन पडऩे वाले प्रदोष को सोम प्रदोष कहते हैं। जिस भी व्यक्ति का चंद्रमा नुकसान पहुंचा रहा हो, उन्हें इस दिन के व्रत को पूरी निष्ठा के साथ करनी चाहिए। फलस्वरूप व्यक्ति के जीवन में शांति और इच्छानुसार फल प्राप्ति होती है।

संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए महिलाएं इस व्रत में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। हिंदू धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत का बहुत महत्व होता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। यह विशेष दिन भगवान शिव को समर्पित किया गया है। इस बार सोम प्रदोष व्रत 07 जून को है।

सोम प्रदोष व्रत के सुबह स्नान आदि से निवृत होकर हल्के लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। पूजा घर की सफाई करके रेशमी कपड़ों से एक मंडप बनाना चाहिए। हल्दी की मदद से स्वस्तिक बनाना चाहिए। चांदी या तांबे के कलश में शुद्ध शहद की एक धारा शिवलिंग को अर्पित करें।

उसके बाद शुद्ध जल की धारा से अभिषेक करें। सर्वसिद्धि प्रदाये नम: मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए। भगवान शिव के सामने अपनी समस्या को दूर करने की विनती करें। प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और शिव चालीसा तथा महामृत्युंजय मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।

भगवान शिव की पूजा में उनको बेलपत्र, भांग, मदार पुष्प, धतूरा, श्वेत पुष्प, मौसमी फल, शहद, गाय का दूध, गंगा जल अर्पित करना चाहिए।

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