जानिए, क्यों है भीष्म अष्टमी खास ?

bheeshm ashtmi

माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथी को भीष्म अष्टमी कहते हैं। इसी दिन भीष्म पितामह ने अपनी इच्छा से मृत्यु को गले लगाया था। महाभारत युद्ध के समय जब पितामाह घायल हुए तो उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने का इतंजार किया और माघ मास में अपने प्राणों का त्याग दिया। अत: इस दिन भीष्म अष्टमी का व्रत किया जाता है। आज के दिन जो व्यक्ति भीष्म पितामह के निमित्त तिलों के साथ तर्पण तथा श्राद्ध करता है, उसे संतान की प्राप्ति होती है। पद्म पुराण के मुताबिक जीवित पिता वाले व्यक्ति को भी इस दिन भीष्म पितामह के लिये तर्पण करना चाहिए।

भीष्म अष्टमी व्रत विधि: भीष्म अष्टमी के दिन सुबह किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा नहीं हो सकता तो घर पर ही मंत्र बोलकर नहा लें। नहाते समय हाथ में तिल लेकर और दक्षिण दिशा की ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करना चाहिए।