विधानसभा में गूंजा ज्वैल्स ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट का जमीन घोटाला

विधानसभा में गूंजा ज्वैल्स ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट का जमीन घोटाला
विधानसभा में गूंजा ज्वैल्स ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट का जमीन घोटाला

विधायक गर्ग ने की सीबीआई जांच की मांग

जयपुर। जयपुर के जवाहर लाल नेहरू मार्ग पर औद्योगिक प्रयोजन के लिए आवंटित कैपस्टन मीटर्स और जय ड्रिंंक्स प्रा. लि. की जमीन पर ज्वैल्स ऑफ इंडिया कॉमर्शियल औऱ रेजीडेंशियल काम्पलैक्स बनने का मुद्दा शुक्रवार को राजस्थान विधानसभा मे गूंजा। इस दौरान राष्ट्रीय लोकदल के विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने जेडीए के तत्कालीन लॉ डॉयरेक्टर दिनेश गुप्ता की टिप्पणियों और तत्कालीन उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की प्रेस कांफ्रेंस का हवाला देते हुए पूरे मामले की सीबीआई अथवा एसीबी से जांच कराए जाने की मांग की। बता दें कि खासखबर डॉट कॉम ने यह मुद्दा काफी जोर-शोर से उठाया था।

सदन में पेश राजस्थान भू-राजस्व (संशोधन औऱ विधिमान्यकरण) विधेयक 2025 की बहस में सम्मिलित होते हुए डॉ. सुभाष गर्ग ने उदाहरण देते हुए कहा कि जयपुर में जवाहर लाल नेहरू मार्ग पर कैपस्टन मीटर्स और जय ड्रिंक्स प्रा. लि. को औद्योगिक उद्देश्यों के लिए आवंटित भूमि का दुरुपयोग किया गया है। इसे ज्वैल्स ऑफ इंडिया नामक एक विशाल वाणिज्यिक और आवासीय परिसर के निर्माण के लिए बदल दिया गया। उन्होंने दावा किया कि भूमि को केवल 1 रुपये की टोकन राशि पर औद्योगिक प्रयोजन के लिए आवंटित किया गया था। बाद में नौकरशाही की मिलीभगत से इसे वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए बदल दिया गया।

डॉ. गर्ग ने जेडीए के तत्कालीन विधि निदेशक दिनेश गुप्ता की टिप्पणियों और पूर्व उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला देते हुए पूरे मामले की सीबीआई या एसीबी से जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह करोड़ों-अरबों रुपये का घोटाला है और इसकी गहन जांच होनी चाहिए।

डॉ. गर्ग ने राजस्थान भू-राजस्व (संशोधन और विधिमान्यकरण) विधेयक 2025 पर भी चिंता जताई, जिसमें रीको को भूमि उपयोग परिवर्तन के अधिकार देने का प्रावधान है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि इससे भूमि माफिया और बड़े उद्योगपतियों को अनुचित लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि रीको को केवल औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भूमि उपयोग परिवर्तन का अधिकार दिया जाना चाहिए, न कि वाणिज्यिक या आवासीय उद्देश्यों के लिए। उन्होंने तर्क दिया कि इससे मास्टर प्लान और जोनल विकास योजनाओं का उल्लंघन हो सकता है। उन्होंने कहा कि यदि रीको को भूमि उपयोग परिवर्तन का असीमित अधिकार दिया जाता है, तो जेडीए, विकास प्राधिकरणों और स्थानीय निकायों की भूमिका कम हो जाएगी। उन्होंने विधेयक को जनमत जानने के लिए भेजे जाने का सुझाव दिया।

डॉ. गर्ग ने कहा कि रीको को इस कानून के जरिए 1979 यानि बैक डेट से लैंड यूज चेंज करने के अधिकार दिए जा रहे हैं। यह तो पहली बार देखने में आया है कि बैक डेट से अधिकार दिए जा रहे हैं, जबकि किसी एक्ट में ऐसा नहीं होता है। रीको द्वारा जो काम किए गए उसको भी हम वैलिड करना चाह रहे हैं। इसके पीछे मकसद क्या है। इसके पीछे मकसद केवल बड़े लोगों को फायदा पहुंचाना है। बड़े बड़े शहरों में इंडस्ट्रियल एऱिया की जमीन आबादी में आ जाती है, उसके जरिए फायदा पहुंचाना है। रीको को तो लैंड यूज चेंज करने का अधिकार ही नहीं देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इससे रीको न केवल इंडस्ट्रियल बल्कि कॉमर्शियल औऱ रेजीडेंशियल लैंड यूज भी कर देगा। फिर जेडीए, डवलपमेंट अथॉरिटीज और लोकल बॉडीज का क्या रोल रहेगा। क्या जोनल डेवलपमेंट प्लान और मास्टर प्लान में चेंज कर देंगे। आज मान लीजिए वीकेआई एऱिया है, यह शहरी सीमा में आ गया है, यहां भी चेंज कर देंगे। यह विचारणीय मुद्दा है। इस विधेयक को जनमत जानने के लिए भेजिए। आप अपने हाथ काट रहे हैं। आपको कोई पूछेगा ही नहीं। रीको स्वायत्तशासी संस्था है। जो चाहे कर लेंगे, आपको मालूम भी नहीं चलेगा। क्या खेल हो रहा है। यह अधिकारियों की मिलीभगत है।