हर साल 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर अंबेडकर दिवस मनाया जाता है। इस दिन को अंबेडकर जयंती या भीम जयंती के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है। उनका जन्म 14 अप्रैल, 1891 में मध्य प्रदेश के महू में एक दलित महार परिवार में हुआ था। वह एक विश्व स्तरीय वकील, समाज सुधारक थे, जिन्होंने आजादी के बाद देश को सही दिशा में आगे बढ़ाने में अहम योगदान दिया था। अंबेडकर की जयंती के मौके पर आज हम आपको बताएंगे डॉ.बी.आर. अंबेडकर से जुड़ी 10 ऐसी बातें, जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे। अंबेडकर जयंती आज : देश के पहले कानून मंत्री थे बाबा साहेब
अंबेडकर जी से जुड़ी 10 अनसुनी बातें
साल 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद, बी.आर. अंबेडकर देश के पहले कानून मंत्री बने थे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सामाजिक और आर्थिक मुद्दों के समाधान के लिए विभिन्न कानूनों और सुधारों का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 29 अगस्त, 1947 को डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमिटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। इस समिति को नए संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए जिम्मेदार थी। अंबेडकर जी का असल सरनेम अंबावडेकर था (महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में उनके पैतृक गांव अंबावड़े के नाम से लिया गया है)। हालांकि, उनके शिक्षक महादेव अंबेडकर ने स्कूल रिकॉर्ड में उनका उपनाम अंबावडेकर से बदलकर अपना उपनाम आंबेडकर कर लिया था, क्योंकि वह उनसे बहुत प्यार करते थे।
अंबेडकर जी ने देश में लेबर कानून से जुड़े कई बड़े बदलाव किए थे। इसके तहत उन्होंने साल 1942 में भारतीय श्रम सम्मेलन के 7वें सत्र में काम के घंटों में बदलाव में करते हुए इसे 12 से 8 घंटे तक लाया था। बाबा साहेब न सिर्फ विदेश में इकोनॉमिक्स में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले पहले भारतीय थे, बल्कि वह इकोनॉमिक्स में पहले पीएचडी और दक्षिण एशिया में इकोनॉमिक्स में पहले डबल डॉक्टरेट होल्डर भी थे। वह अपनी पीढ़ी के सबसे ज्यादा शिक्षित भारतीयों में से भी थे। उन्होंने संसद में हिंदू कोड बिल के लिए बहुत जोर दिया। इस विधेयक का उद्देश्य विवाह और विरासत के मामलों में महिलाओं को समान अधिकार देना था। जब विधेयक पारित नहीं हो सका तो उन्होंने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।
कोलंबिया विश्वविद्यालय में अपने तीन वर्षों के दौरान, अंबेडकर ने इकोनॉमिक्स में 29 कोर्सेस, इतिहास में 11, सोशियोलॉजी में छह, फिलॉसिपी में पांच, ह्यूमैनिटी में चार, राजनीति में तीन और प्रारंभिक फ्रेंच और जर्मन में एक-एक पाठ्यक्रम लिया था। अपनी बुक (1995 में प्रकाशित), थॉट्स ऑन लिंग्विस्टिक स्टेट्स में, अंबेडकर ने ही सबसे पहले मध्य प्रदेश और बिहार को विभाजित करने का सुझाव दिया था। बाद में इस बुक को लिखने के लगभग 45 साल बाद, अंतत: साल 2000 में बिहार से झारखंड और मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ का विभाजन हुआ।
डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर 64 विषयों में मास्टर थे। उन्हें हिंदी, पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, मराठी, फारसी और गुजराती जैसी 9 भाषाओं का ज्ञान था। इसके अलावा उन्होंने लगभग 21 वर्षों तक विश्व के सभी धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया। डॉ. बीआर अंबेडकर पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने भगवान बुद्ध की खुली आंखों वाली पेंटिंग बनाई थी। उससे पहले दुनिया भर में अधिकतर सभी मूर्तियों की आंखें बंद थीं।
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