भारत की नवाचार अर्थव्यवस्था में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं सीएफओ

सीएफओ
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भारतीय अर्थव्यवस्था पर जाने माने मुख्य वित्तीय अधिकारियों ने की विशेष चर्चा

जयपुर। भारतीय उद्योग जगत में, सीएफओ (मुख्य वित्तीय अधिकारी) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य की निगरानी करते हैं, वित्तीय योजना विकसित करते हैं, और कंपनी की वित्तीय स्थिरता और व्यावसायिक सफलता सुनिश्चित करते हैं। इसी पर अनुभवी मुख्य वित्तीय अधिकारी राकेश भाटिया, ख्याति माहेश्वरी, गिरीश गोयनका, नित्या बाला सुब्रमण्यम, पुलकित गोयल और नितिन खन्ना ने खास चर्चा की। वे बताते हैं कि आज का महत्वपूर्ण प्रश्न यह है: क्या सीएफओ उद्यम परिवर्तन का नेतृत्व कर सकते हैं? उनका उत्तर है हाँ, वित्तीय अनुशासन को साहस, जिज्ञासा और दूरदर्शी नेतृत्व के साथ जोडक़र, ताकि तेजी से बदलती अर्थव्यवस्था में व्यवसायों को फलने-फूलने में मदद मिल सके। भारत के सीएफओ की भूमिका एक शांत क्रांति के दौर से गुजऱ रही है। कभी अनुपालन संरक्षक के रूप में स्थापित आज के वित्तीय नेता रणनीतिक सह-पायलट बन रहे हैं, जो कंपनियों को डिजिटल नवाचार, सुदृढ़ विकास और बाजार में गहरी पैठ की जटिल यात्रा में आगे बढऩे में मदद कर रहे हैं।

आरओआई का आकलन करना मुश्किल : भाटिया

टाटा कैपिटल के सीएफओ राकेश भाटिया ने मज़ाक में कहा, जब मैं वार्षिक बजट बनाता हूँ, तो सबसे मुश्किल हिस्सा आईटी अध्याय होता है।” उन्होंने आगे कहा, आरओआई का आकलन करना मुश्किल है, लेकिन दांव इतने ऊँचे हैं कि उन्हें नजऱअंदाज़ नहीं किया जा सकता। भाटिया की भावना ने एक बातचीत की दिशा तय की, जिसमें यह पता लगाया गया कि कैसे सीएफओ नवाचार-प्रधान भारत को आकार देने में तेज़ी से केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं। टियर-2 और टियर-3 शहरों के स्टार्टअप गतिविधियों के केंद्र बनने और विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल अपनाने में तेज़ी के साथ, वित्तीय कार्य अब केवल पृष्ठभूमि नहीं रह गया है – बल्कि यह आगे और केंद्र में है।

परिवर्तन अब जीवन जीने का एक तरीका : ख्याति

मोएट हेनेसी की सीएफओ ख्याति माहेश्वरी ने कहा कि परिवर्तन अब एक परियोजना नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। सीएफओ के रूप में, हमें परिवर्तन को क्रियान्वित करने, सूक्ष्म-बाज़ार की गतिशीलता को संतुलित करने और रणनीतिक धुरी का समर्थन करने में मदद करनी चाहिए, जिसका अर्थ है तकनीक और लोगों से जुड़े निर्णयों में समान रूप से सक्रिय होना।

पीरामल रियल्टी के सीएफओ, गिरीश गोयनका ने सीएफओ के स्कोरकीपर से रणनीतिकार बनने के बदलाव पर ज़ोर दिया। मैं अपना 80 प्रतिशत समय ऑडिट और अनुपालन में लगाता था। अब यह 15 प्रतिशत है। बाकी समय रणनीति, नवाचार और शैडो सीईओ होने में लगता है। सीएफओ पर बड़े दांव लगाने और भविष्य के लिए तैयार रहने का भरोसा होता है, लेकिन इस नई भूमिका के लिए पारंपरिक सोच को नए सिरे से ढालना होगा।

लेखाशास्त्र ने हमें सतर्क रहना सिखाया : गोयल

पुलकित गोयल ने कहा, लेखाशास्त्र ने हमें सतर्क रहना सिखाया है। लेकिन आज के सीएफओ को साहसिक फैसले लेने होंगे। नवाचार पूरी स्पष्टता का इंतज़ार नहीं करेगा—इसके लिए विश्वास, दूरदर्शिता और समय पर निर्णय लेने की ज़रूरत होती है। आईकेएस हेल्थ की ग्रुप सीएफओ नित्या बाला सुब्रमण्यन नवाचार को सिर्फ़ एक उत्पाद या तकनीक से कहीं बढक़र मानती हैं; उनके लिए, यह एक सोच है। हम पहले जुगाड़ नवाचार की बात करते थे। अब हम भारत द्वारा मौलिक, दुनिया में पहली सफलताओं की बात कर रहे हैं। इसका मतलब है कि सीएफओ को वेंचर कैपिटलिस्टों की तरह जोखिमों को समझना होगा और ऐसे निवेशों का बचाव करना होगा जो शायद सालों तक रिटर्न न दें।

सीएफओ की आवाज़ अब महत्वपूर्ण : खन्ना

नितिन खन्ना ने एक और बात कही: उद्योग-व्यापी सुधारों और सार्वजनिक नीति को आकार देने में सीएफओ की आवाज़ अब महत्वपूर्ण है। हम सिर्फ़ अनुपालन पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं, बल्कि ज़्यादा निष्पक्ष और पारदर्शी प्रणालियाँ बनाने में मदद कर रहे हैं। हम दीर्घकालिक मूल्य बनाने के लिए नियामकों, निवेशकों और यहाँ तक कि साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ भी संपर्क कर रहे हैं। इस प्रकार, अब मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) की कुर्सी के लिए न केवल वित्तीय कौशल, बल्कि साहस, जिज्ञासा और स्पष्टता की भी आवश्यकता है – जो पारंपरिक संख्या-गणना की रूढि़वादिता से बिल्कुल अलग है। आज के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) को गतिशील बाजारों में आगे बढऩा होगा, बोर्डरूम रणनीति को प्रभावित करना होगा, नवाचार को सक्षम बनाना होगा और दीर्घकालिक मूल्य सृजन को गति देनी होगी। जैसे-जैसे भारत नवाचार-आधारित भविष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है, मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) न केवल एक वित्तीय नेता है, बल्कि उद्यम विकास के मूल में परिवर्तन का एक दूरदर्शी प्रवर्तक भी है।

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