स्वास्थ्य सेवा की जवाबदेही, रोगी अधिकारों और नैतिक प्रथा पर रखे विचार
जयपुर। नारायणा अस्पताल और सेंटवेव संस्था ने एडवोकेट लोकेश शर्मा, एडवोकेट गौरव राठौड़ और राजस्थान एजुकेशन ट्रस्ट की कानूनी शोधकर्ता रूपाली चौहान के सहयोग से शनिवार को एक विचारोत्तेजक पैनल चर्चा कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य चिकित्सा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा की जवाबदेही, रोगी अधिकारों और नैतिक प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। कार्यक्रम दो आकर्षक सत्रों में आयोजित किया गया था, जिसमें कानूनी और नैदानिक/रोगविषयक दोनों दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाला गया। प्रतिष्ठित पैनलिस्टों में नारायणा अस्पताल के सुविधा निदेशक बलविंदर सिंह वालिया और क्लीनिकल निदेशक, विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ सलाहकार डॉ. प्रदीप कुमार गोयल शामिल रहे। न्यायाधीश जेके रांका और न्यायाधीश अतुल कुमार जैन ने न्यायिक अंतर्दृष्टि प्रदान कर सभा को संबोधित किया।
इन्होंने ये कहा…
फोरेंसिक वैज्ञानिक और डीएनए विशेषज्ञ, पूर्व अतिरिक्त निदेशक, आरएफएसएल, प्रो. जीके माथुर ने फोरेंसिक विशेषज्ञता साझा की। डॉ. राकेश चित्तौड़ा, निदेशक एवं कार्डियोलॉजी इकाई प्रमुख, और डॉ. विजय कपूर, अध्यक्ष, निजी अस्पताल एवं नर्सिंग एसोसिएशन द्वारा कार्डियोलॉजी और स्वास्थ्य सेवा प्रशासन पर विशेष विचार पेश किए गए। डॉ. संजुला थानवी, एसोसिएट प्रोफेसर एवं डीन, विधि संकाय, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर ने शैक्षणिक और कानूनी दृष्टिकोण प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में सेंटवेव संगठन की निदेशक शिवाली गुप्ता और प्रो. (डॉ.) आराधना परमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इन विचारों पर एकमत
चर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने एकमत से माना कि आपातकालीन परिस्थितियों में डॉक्टरों की सुरक्षा और निश्चिंत सेवा सुनिश्चित करने के लिए मरीज और चिकित्सक के बीच पारदर्शी एवं निरंतर संवाद अत्यंत आवश्यक है। स्पष्ट संचार और पारस्परिक विशवास से न केवल विवादों की संभावना कम होती है बल्कि स्वस्थ वातावरण भी बनता है। पैनल का सामूहिक मत रहा कि चिकित्सक समाज की अमूल्य धरोहर हैं और उन्हें भयमुक्त वातावरण उपलब्ध कराना समाज की जिम्मेदारी है। इसी से वे पूरी निष्ठा और आत्मविश्वास के साथ मरीजों को उपचार प्रदान कर सकते हैं।
ये दिए सुझाव
डॉ. भुवनेश शर्मा चेयरमैन, बार काउंसिल ऑफ राजस्थान एवं अतिरिक्त महाधिवक्ता, जयपुर बेंच ने चिकित्सा उपचार के कानूनी मुद्दों से संबंधित व्यक्तिगत अनुभव साझा किए और आम लोगों के लिए इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया, जिसकी आयोजकों ने सराहना की। डॉ. चंद्रिका प्रसाद शर्मा, आरएचजेएस ने सरकारी अस्पतालों सहित अस्पताल सेवाओं की निगरानी प्रक्रिया में बदलाव करने का सुझाव दिया, जिससे निश्चित रूप से भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा। कार्यक्रम चिकित्सकों के हितों एवं उनकी सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर केंद्रित रहा। मंच संचालन अधिवक्ता गौरव राठौड़ ने बड़े सुंदर शब्दों में अपनी मातृभाषा में किया, जिसने सभी को प्रभावित और सम्मोहित कर दिया।