पसीना आना एक सामान्य और नेचुरल शारीरिक प्रक्रिया है, जो शरीर का तापमान संतुलित रखते हुए शरीर को कूल रखने के लिए जरूरी है, लेकिन कुछ लोगों को जरूरत से अधिक पसीना आता है। ये एक असहज और असुविधाजनक स्थिति उत्पन्न करता है, जिससे व्यक्ति को शारीरिक रूप से उलझन होती ही है और साथ ही कई लोगों के बीच में मानसिक रूप से भी झेंप महसूस होती है। ज्यादा पसीना आने की स्थिति को हाइपरहाइड्रोसिस कहते हैं। आइए इस आर्टिकल में जानने की कोशिश करें कि किन वजहों से आता है ज्यादा पसीना
क्यों आता है अधिक पसीना?
पसीना निकालने वाले स्वेट ग्लैंड्स को जो नसें नियंत्रित करती हैं, वे ओवर एक्टिव हो जाती हैं, जिससे उस समय भी पसीना बनने लगता है जब शरीर को तापमान संतुलित करने की जरूरत भी नहीं होती है। इसी कारण कुछ लोगों को अधिक पसीना आने लगता है। इसे हाइपरहाइड्रोसिस कहते हैं।
हाइपरहाइड्रोसिस दो प्रकार के हो सकते हैं-
1. प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस में बिना किसी उपयुक्त कारण के पसीना आता है। यह स्ट्रेस से ट्रिगर होता हो सकता है और अकसर ये दिन के समय होता है।
2. सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस में पूरे शरीर पर पसीना आने लगता है और ये किसी विशेष कारण से होता है, जैसे मेनोपॉज, कैंसर स्पाइनल कॉर्ड इंजरी। कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट के कारण भी ऐसा हो सकता है। इसमें आर्मपिट, हाथ और पैर में अधिक पसीना आता है।
हाइपरहाइड्रोसिस से कैसे निपटे?
एंटीपरस्पिरेंट का इस्तेमाल करें- इसके नियमित इस्तेमाल से स्वेट ग्लैंड ब्लॉक होती हैं। रात में सोने से पहले इसे लगाना ज्यादा सही रहता है, जिससे पसीने में एंटीपरस्पिरेंट बह न जाए। डाइट में बदलाव लाएं- कुछ खानपान की चीजें जैसे मसालेदार खाना, कैफीन, शराब आदि स्वेट ग्लैंड को ट्रिगर करती हैं, जिससे अधिक पसीना आने लगता है। ऐसे खानपान को बदल कर स्वस्थ खानपान खाने से फायदा मिलेगा। ज्यादा पानी, फल और सब्जियां खाएं, जो शरीर के तापमान को संतुलित रखने में मदद करती हैं। टॉपिकल वाइप्स- अंडरआर्म में लगाने के लिए ऐसी वाइप्स भी आती हैं, जिनके इस्तेमाल से हाइपरहाइड्रोसिस की समस्या से निपटा जा सकता है। बोटॉक्स- समस्या बढऩे पर बोटॉक्स के इंजेक्शन लगाए जाते हैं, जिससे स्वेट ग्लैंड को सक्रिय करने वाले केमिकल को ब्लॉक किया जाता है।
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