चुनाव आयोग करेगा काउंटर पीसी, SIR से लेकर वोट चोरी का मिलेगा जवाब

Election Commission changed the date of by-election
Election Commission changed the date of by-election

नई दिल्ली। रविवार को शाम 3 बजे नई दिल्ली में राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित होगी। भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने यह प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है, जो बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के शुरू होने के बाद पहली बार होगी। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस तब हो रही है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया है और विपक्षी दल बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का विरोध कर रहे हैं।

ईसीआई की प्रेस कॉन्फ्रेंस: यह असामान्य है Election Commission, PC, SIR, vote theft कि चुनाव आयोग चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के अलावा किसी और मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करे। सूत्रों का कहना है कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित हो सकती है।

राहुल गांधी के आरोप: राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर मतदान के आंकड़ों में हेराफेरी का आरोप लगाया है, और कहा है कि महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक में बीजेपी को जिताने के लिए ‘वोट चोरी’ हुई थी। चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से इन आरोपों के समर्थन में सबूत और हस्ताक्षरित घोषणापत्र मांगा है।

बिहार में SIR का विरोध: विपक्षी दल बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का विरोध कर रहे हैं। उनका दावा है कि इस प्रक्रिया से दस्तावेजों की कमी के कारण करोड़ों पात्र नागरिक मतदान से वंचित हो सकते हैं।

ईसीआई का उद्देश्य: चुनाव आयोग का कहना है कि SIR का उद्देश्य ‘हर पात्र नागरिक का नाम मतदाता सूची में शामिल करना और सभी संदिग्ध या अपात्र व्यक्तियों के नाम सूची से हटाना है।’

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण प्रकाशित करने को कहा है, जिस पर आयोग सहमत हो गया है।

मतदाता सूची संशोधन: चुनाव आयोग ने संशोधित वोटर लिस्ट का पहला ड्राफ्ट 1 अगस्त को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है। पात्र मतदाता 30 सितंबर तक अपना नाम जुड़वा सकते हैं, और अंतिम सूची 1 अक्टूबर को प्रकाशित की जाएगी।

प्रक्रिया: SIR के तहत, बूथ लेवल अधिकारी घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में 11 मान्यता प्राप्त दस्तावेजों में से किसी एक की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब चुनाव आयोग को मौजूदा मतदाता सूचियों में गंभीर खामियां मिलती हैं।