सावन का महीना शुरू होते ही चारों तरफ हरियाली, बारिश की फुहारें और भगवान शिव की भक्ति का माहौल बन जाता है। ये महीना न सिर्फ धार्मिक रूप से खास होता है, बल्कि खाने-पीने के शौकीनों के लिए भी खास माना जाता है। इस महीने कई तरह की पारंपरिक मिठाइयों और व्यंजनों का भंडार देखने को मिलता है। सावन के दिनों में जहां कहीं घेवर, मालपुआ और गुलगुले जैसे पकवानों की चर्चा होती है, वहीं एक और मिठाई है जो खासतौर पर उत्तर भारत के कई हिस्सों में बड़े चाव से खाई जाती है। वो मिठाई और कोई नहीं बल्कि फैनी है। फैनी एक पारंपरिक मिठाई है जो देखने में जालीदार होती है और मुंह में रखते ही घुल जाती है। इसकी मिठास, बनावट और खुशबू इतनी जबरदस्त होती है कि इसे सावन की मिठाइयों में खास जगह मिला हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फैनी को सावन में ही क्यों खाया जाता है? क्यों ये मिठाई खास तौर पर हरियाली तीज या रक्षाबंधन जैसे त्योहारों में ही सर्व की जाती है?
सिर्फ स्वाद से नहीं है संबंध
आपको बता दें कि इसका संबंध सिर्फ स्वाद से नहीं है, बल्कि परंपरा और मौसम से भी जुड़ा हुआ है। आज का हमारा लेख भी इसी विषय पर है। हम आपको बताएंगे कि इस मिठाई का इतिहास क्या है और इसे सावन में ही क्यों खाया जाता है। आइए जानते हैं विस्तार से –
सावन में ही क्यों खाई जाती है ये मिठाई
सावन का महीना हर रूप में खास होता है। इस मौसम में जितना घेवर की डिमांड होती है, उतनी ही फैनी की भी होती है। दरअसल, बारिश के चलते नमी बढ़ जाती है। ऐसे में ये मिठाई नमी में भी खराब नहीं होती है। कहते हैं कि जितनी ज्यादा नमी होगी, ये मिठाई उतनी ही स्वादिष्ट होगी। नमी के कारण फैनी काफी मुलायम बनी रहती है। जिस कारण इसे खाने का मजा दोगुना हो जाता है।
त्योहारोंं में बढ़ जाती है डिमांड
वहीं दूसरी ओर सावन के महीने में हरियाली तीज और रक्षाबंधन जैसे कई त्योहार आते हैं। इन त्योहारों में मिठाइयों की मांग ज्यादा बढ़ जाती है। यही कारण है कि सावन में इनकी डिमांड बढ़ जाती है। इससे दुकानदारों की भी कमाई दोगुनी होती है। आपको बता दें कि फैनी को फीणी भी कहा जाता है। लेकिन इसे बनाना भी बेहद कठिन होता है। इसे बनाने में तीन दिन का समय लगता है।
क्या है इसका इतिहास
इस मिठाई का इतिहास भी राजस्थान से जुड़ा हुआ है। यहां पर सैकड़ों सालों से कई परिवार फैनी बनाते आ रहे हैं। राजस्थान के सांभर की फैनी राजा-महाराजाओं को खूब पसंद होती थी। बताया जाता है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान की शादी में भी इस शाही मिठाई को परोसा गया था। ये सभी को खूब पसंद आई थी।
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