नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, 1 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $9.32 बिलियन की भारी गिरावट के साथ $688.87 बिलियन हो गया है। यह सितंबर 2024 के अंत में अपने सर्वकालिक उच्च स्तर $704.88 बिलियन से काफी कम है।
प्रमुख कारण
यह गिरावट विदेशी मुद्रा भंडार के विभिन्न घटकों में कमी के कारण हुई है।
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA): यह विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा है। इस सप्ताह में यह $7.32 बिलियन घटकर $581.61 बिलियन हो गया है।
स्वर्ण भंडार: सोने के भंडार का मूल्य $1.71 बिलियन घटकर $83.99 बिलियन हो गया।
विशेष आहरण अधिकार (SDR): यह $237 मिलियन घटकर $18.57 बिलियन रहा।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास आरक्षित स्थिति: यह भी $59 मिलियन घटकर $4.69 बिलियन हो गया।
विदेशी मुद्रा भंडार का महत्व
विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह
- आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है।
- आयात के लिए भुगतान करने में सहायक होता है।
- बाहरी ऋणों को चुकाने की क्षमता को सुनिश्चित करता है।
- रुपये के मूल्य में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने में आरबीआई की मदद करता है।
हालाँकि इस सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है, फिर भी भारत का विदेशी मुद्रा भंडार एक मजबूत स्तर पर बना हुआ है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है।