जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव आयोग को गंभीरता दिखाने की सलाह देते हुए आरोप लगाया कि चुनाव आयोग जनभावनाओं को समझने में चूक कर रहा है। चुनाव आयोग को देश से माफी मांगनी चाहिए। गहलोत ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट किया कि ऐसा संभवतः इतिहास में पहली बार होगा जब विपक्षी सांसद इतनी बड़ी संख्या में चुनाव आयोग के विरुद्ध सड़क पर उतरे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, एनसीपी अध्यक्ष शरद पंवार, एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत इंडी गठबंधन के तमाम वरिष्ठ नेता आक्रोशित हैं।
इसके बावजूद चुनाव आयोग का बर्ताव निंदनीय है। चुनाव आयोग जनभावनाओं को समझने में चूक कर रहा है। चुनाव आयोग को देश से माफी मांगनी चाहिए।उन्होंने कहा कि चलते संसद सत्र में सांसदों को हिरासत में लेकर थाने में रखना सांसदों के विशेषाधिकार के भी खिलाफ है। गहलोत ने सलाह देते हुए कहा कि चुनाव आयोग को अब गंभीरता दिखाने की आवश्यकता है। यह देश के लोकतंत्र का सवाल है। चुनाव आयोग को इस संस्था में आमजन का विश्वास बचाए रखने के लिए तुरंत वोटर लिस्ट का डाटा मशीन रीडेबल फॉर्मेट में उपलब्ध करवा देना चाहिए जिससे सारी अनियमितताएं सामने आएं और उन्हें दूर किया जा सके।
खड़गे, राहुल की गिरफ्तारी का विरोध
सोशल मीडिया पर जारी एक अन्य पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने लिखा कि वोट चोरी के विरोध में मार्च निकाल रहे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा समेत अन्य सांसदों को हिरासत में लिया जाना बेहद निंदनीय एवं लोकतंत्र पर कुठाराघात है। डेमोक्रेसी में विपक्ष को अपनी बात उठाने का अधिकार है और प्रदर्शन, मार्च इत्यादि के जरिए ही वो अपने मुद्दों पर जनता की आवाज को बुलंद करते हैं। प्रदर्शन करते नेताओं को हिरासत में लेना उनके इस अधिकार का हनन है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार एवं चुनाव आयोग राहुल गांधी द्वारा तथ्यों के साथ लगाए गए वोट चोरी के आरोप की जांच करने की बजाय ध्यान भटकाने के लिए दूसरे रास्ते अपना रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष तो क्या किसी आम आदमी या मीडिया संस्थान द्वारा भी इतनी बड़ी अनियमितताएं सामने लाने पर चुनाव आयोग का कर्तव्य है कि उनकी जांच करवाए पर चुनाव आयोग का ऐसा रुख इस संस्था में आमजन के विश्वास को खत्म कर रहा है।