नई दिल्ली। भारत सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने और बाज़ार में पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए थोक और खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा को कम कर दिया है। यह फैसला जमाखोरी को रोकने और कीमतों को नियंत्रित रखने के उद्देश्य से लिया गया है।
मुख्य बदलाव:
- थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा 2,000 टन से घटाकर 1,000 टन कर दी गई है।
- खुदरा विक्रेताओं के लिए यह सीमा 10 टन से घटाकर 5 टन प्रति आउटलेट की गई है।
- प्रोसेसरों (जैसे आटा मिलों) के लिए, वे अपनी मासिक स्थापित क्षमता का 50% ही स्टॉक रख सकेंगे।
इस कदम का कारण:
गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद, पिछले कुछ समय से बाज़ार में इसकी कीमतें बढ़ रही थीं। माना जा रहा था कि कुछ व्यापारियों और बड़े विक्रेताओं द्वारा जमाखोरी की जा रही थी, जिससे कृत्रिम कमी पैदा हो रही थी और कीमतें बढ़ रही थीं। सरकार का यह कदम इस जमाखोरी पर रोक लगाने और उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर गेहूं उपलब्ध कराने के लिए है।
प्रभाव:
- बाज़ार में उपलब्धता बढ़ेगी: स्टॉक सीमा कम होने से व्यापारियों को अपना अतिरिक्त गेहूं बाज़ार में लाना होगा, जिससे आपूर्ति बढ़ेगी।
- कीमतों पर नियंत्रण: आपूर्ति बढ़ने से कीमतों में स्थिरता आएगी और उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत मिलेगी।
- जमाखोरी पर लगाम: यह कदम उन लोगों को हतोत्साहित करेगा जो मुनाफा कमाने के लिए बड़ी मात्रा में गेहूं का स्टॉक जमा कर रहे थे।
यह फैसला 31 मार्च, 2026 तक लागू रहेगा। सरकार ने सभी संबंधित संस्थाओं को एक पोर्टल पर अपने स्टॉक की स्थिति की जानकारी देने का भी निर्देश दिया है ताकि स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा सके। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।