जीएसटी: जानिए कम कीमतों का ग्राहकों को कब मिलेगा फायदा, आ रही है यह अड़चन

नई दिल्लीै। माल एवं सेवा कर में हाल ही में हुए सुधारों के बाद, रोजमर्रा के इस्तेमाल का सामान बनाने वाली एफएमसीजी कंपनियों (Fast-Moving Consumer Goods) को अपने मौजूदा स्टॉक को लेकर एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। ये कंपनियां, जिनके पास पहले से छपे हुए एमआरपी (MRP) वाले लाखों उत्पाद गोदामों और दुकानों में पड़े हैं, सरकार से इस स्टॉक को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देशों का इंतजार कर रही हैं। बता दें जीएसटी काउंसिल ने करीब 400 वस्तुओं पर टैक्स दरें कम की हैं, जिनमें कई रोजमर्रा के सामान शामिल हैं। नई दरें 22 सितंबर से प्रभावी हो जाएंगी। उद्योग जगत उम्मीद कर रहा है कि सरकार उन्हें पुराने एमआरपी वाले स्टॉक को “रियायत के साथ बेचने” की अनुमति देगी ताकि सप्लाई चेन में बाधा न आए और ग्राहकों को भी फायदा मिले।

मुख्य चुनौतियाँ:

पुराने एमआरपी वाले स्टॉक का मुद्दा: जीएसटी के तहत कुछ एफएमसीजी उत्पादों पर टैक्स की दरें कम हो गई हैं, जिससे उनकी कीमत घट जाएगी। हालांकि, कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास अभी भी पुरानी और ऊँची एमआरपी वाले उत्पाद मौजूद हैं। इस स्टॉक को कैसे बेचा जाए, यह उनके लिए एक बड़ा सवाल है।

कम कीमतें ग्राहकों तक पहुँचाने में देरी: गोदरेज कंज्यूमर के सीईओ सुधीर सीतापति के अनुसार, नए एमआरपी वाले उत्पाद बाजार तक पहुँचने में समय लगेगा। इसलिए, ग्राहकों को कम कीमतों का फायदा तुरंत नहीं मिलेगा। उन्हें अगले महीने की शुरुआत या मध्य तक इंतजार करना पड़ सकता है। दिशानिर्देशों के आधार पर ही कंपनियां तय कर पाएंगी कि उन्हें मौजूदा स्टॉक को कैसे बेचना है।