शरीर में होते हैं ये संकेत तो हो सकता है फैटी लिवर, लापरवाही पड़ सकती है भारी

फैटी लिवर
फैटी लिवर

लिवर से संबंधित बीमारियों का खतरा सभी उम्र के लोगों में देखा जा रहा है। भारतीय आबादी में भी इसका जोखिम बढ़ गया है। मेडिकल रिपोट्र्स के मुताबिक आजकल हर तीसरा भारतीय फैटी लिवर की समस्या से जूझ रहा है। यह आंकड़ा हमें डराता भी है और सावधान भी करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लिवर शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये खाना पचाने, शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, खून को साफ रखने और ऊर्जा बनाने का काम करता है। लेकिन जब लिवर की कोशिकाओं में चर्बी जमने लगती है, तो धीरे-धीरे यह अपनी ताकत खोने लगता है। इस स्थिति को फैटी लिवर रोग के रूप में जाना जाता है। भारत में लिवर रोग एक गंभीर जन स्वास्थ्य चिंता का विषय है, जिसमें नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) और कई अन्य प्रकार के क्रोनिक लिवर रोग प्रमुख हैं। असली गेम-चेंजर नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज है, जो साइलेंटली एक बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले चुका है। एम्स के एक अध्ययन में बताया गया है कि लगभग 38त्न भारतीय आबादी फैटी लिवर से प्रभावित है, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं। क्या आप जानते हैं कि फैटी लिवर की समस्या कुछ स्थितियों में कैंसर का भी कारण बन सकती है? शरीर में होते हैं ये संकेत तो हो सकता है फैटी लिवर, लापरवाही पड़ सकती है भारी

फैटी लिवर और इसके कारण होने वाली दिक्कतें

फैटी लिवर
फैटी लिवर

भारत में हर साल लिवर की बीमारी से 2.68 लाख से अधिक मौतें दर्ज की जाती हैं, जो दुनियाभर में लिवर से संबंधित सभी मौतों का 18 प्रतिशत से अधिक है। चूंकि फैटी लिवर के मामलों में भी उछाल देखा जा रहा है ऐसे में कैंसर और इससे मौत का भी जोखिम बढ़ जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि फैटी लिवर की समस्या को अगर समय रहते कंट्रोल न किया जाए तो यह सिरोसिस और आगे चलकर लिवर कैंसर तक का कारण बन सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, लिवर कैंसर के करीब 25-30त्न मामले फैटी लिवर से जुड़े होते हैं।

फैटी लिवर और कैंसर का खतरा

शोध बताते हैं कि जब लिवर में लगातार फैट और सूजन की स्थिति बनी रहती है, तो वहां की कोशिकाएं बार-बार क्षतिग्रस्त होती हैं । यह डीएनए को भी नुकसान पहुंचाता है और कोशिकाओं में असामान्य रूप से वृद्धि हो सकती है। यही स्थिति कैंसर का रूप लेती है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की रिपोर्ट के अनुसार जिन्हें लंबे समय से मोटापा, डायबिटीज या शराब पीने की आदत रही हो उनमें फैटी लिवर और इसके कारण कैंसर होने का जोखिम अधिक रहता है। मोटापे से ग्रस्त 90 प्रतिशत तक लोगों में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज का जोखिम पाया जाता है। यह नॉन-अल्कोहल-रिलेटेड स्टीटोहेपेटाइटिस (एनएएसएच) नामक एक अधिक गंभीर स्थिति में बदल सकता है, जिसमें लिवर में सूजन और क्षति का खतरा रहता है। एनएएसएच के कारण सिरोसिस, लिवर फेलियर और हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा का भी खतरा रहता है। हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा, लिवर में कैंसर का सबसे आम प्रकार है।

फैटी लिवर से बचाव जरूरी

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं इस तरह के जोखिमों को कम करने के लिए सबसे जरूरी है कि फैटी लिवर से बचाव किया जाए। फैटी लिवर केवल शराब पीने से नहीं होता, बल्कि इसके और भी कई कारण हैं। मोटापा और पेट की चर्बी के शिकार लोगों के अलावा डायबिटीज की स्थिति भी लिवर में फैट बढ़ाने वाली हो सकती है। गड़बड़ खानपान जैसे ज्यादा तली-भुनी चीजें, मीठा और पैक्ड फूड, शराब का सेवन और सेंडेंटरी लाइफस्टाइल भी नुकसानदायक है।

इन संकेतों को अनदेखा न करें

फैटी लिवर की शुरुआती स्टेज में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखते। लेकिन अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह खतरनाक हो सकता है। डॉक्टर कहते हैं, अगर आपको पेट में लगातार भारीपन या दाईं तरफ दर्द रहता है थकान, कमजोरी और भूख नहीं लगती तो इस बारे में चिकित्सक की सलाह जरूर लें। अगर बार-बार पीलिया हो रहा है, उल्टी में खून या शौच का रंग काला हो गया है, इसके साथ अचानक से वजन कम होने लगा हो तो इसे अनदेखा न करें। ये लक्षण फैटी लिवर के कारण होने वाली गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकती हैं। लाइफस्टाइल सुधार से 70त्न मामलों में फैटी लिवर को कैंसर बनने से रोका जा सकता है।

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