बच्चों का मानसिक विकास और याददाश्त का स्तर उनके भविष्य की नींव रखता है। एक अच्छी याददाश्त न केवल उनकी पढ़ाई-लिखाई के लिए जरूरी है, बल्कि यह उनके सोशल और पर्सनल लाइफ को भी प्रभावित करती है। ऐसे में, पेरेंट्स की भूमिका बच्चों की याददाश्त को मजबूत बनाने में अहम होती है। यहां चार ऐसी आदतें बताई गई हैं, जिन्हें अपनाकर पेरेंट्स अपने बच्चों की याददाश्त को बेहतर बना सकते हैं। इस तरह से बढ़ाएं बच्चों की याददाश्त, पढऩे में होंगे तेज तर्रार
माइंड गेम्स खिलाएं
माइंड गेम्स या दिमागी खेल बच्चों की याददाश्त और कॉग्निटिव स्किल्स को बढ़ाने में मददगार होते हैं। पहेलियां, सुडोकू, वर्ड प्ले, और मेमोरी कार्ड गेम्स जैसे खेल बच्चों के दिमाग को एक्टिव रखते हैं। ये खेल न केवल उनकी याददाश्त को तेज करते हैं, बल्कि उनकी प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स और लॉजिकल थिंकिंग को भी विकसित करते हैं। पेरेंट्स को चाहिए कि वे रोजाना कुछ समय बच्चों के साथ ऐसे गेम्स खेलें, जो उनके दिमाग को चुनौती दें।
स्क्रीन टाइम कम करें
आज के डिजिटल युग में बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ता जा रहा है। मोबाइल, टैबलेट, टीवी और कंप्यूटर पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों की याददाश्त और फोकस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ज्यादा स्क्रीन टाइम उनके दिमाग को आलसी बना सकता है और याददाश्त को कमजोर कर सकता है। इसलिए, पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करें और उन्हें फिजिकल एक्टिविटीज, पढ़ाई और क्रिएटिव वर्क में बिजी रखें। इससे उनकी याददाश्त और मानसिक स्वास्थ्य दोनों बेहतर होंगे।
ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाना खिलाएं
बच्चों की याददाश्त को बेहतर बनाने में पोषण की भूमिका अहम होती है। ओमेगा-3 फैटी एसिड एक ऐसा पोषक तत्व है, जो दिमाग के विकास और याददाश्त को मजबूत करने में मदद करता है। यह मछली (जैसे सालमन और टूना), अखरोट, चिया सीड्स, फ्लैक्स सीड्स और सोयाबीन में पाया जाता है। पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों की डाइट में इन फूड्स को शामिल करें। इसके अलावा, हरी पत्तेदार सब्जियां, अंडे और ड्राई फ्रूट्स भी दिमाग के लिए फायदेमंद होते हैं।
8 घंटे की नींद लेने दें
नींद बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी है। पर्याप्त नींद न लेने से बच्चों की याददाश्त, फोकस और सीखने की क्षमता प्रभावित होती है। बच्चों को रोजाना कम से कम 8 घंटे की गहरी नींद लेनी चाहिए। नींद के दौरान दिमाग दिनभर की जानकारी को स्टोर करता है और उसे लंबे समय तक याद रखने में मदद करता है। पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों के सोने का एक नियमित समय तय करें और उनके सोने के माहौल को शांत और आरामदायक बनाएं।
यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बम म्यूजिक पार्टी का बजाया नगाड़ा, फूलाें की होली खेली