गर्मी बढऩे से हीट स्ट्रोक, डिहाइ्रेशन, दस्त, हार्ट अटैक जैसी परेशानियों का ही खतरा नहीं बढ़ता, बल्कि इससे स्ट्रेस, एंग्जायटी, डिप्रेशन और पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के होने की भी संभावना बढ़ जाती है। दरअसल बढ़ते तापमान के चलते हार्मोन्स में भी कई तरह के बदलाव होते हैं, जो हमारे मूड को प्रभावित कर सकते हैं। इसी के चलते मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियां देखने को मिलती हैं।
बढ़ते तापमान से दिमाग पर पडऩे वाला असर
1. गर्मी में स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल का लेवल बढ़ जाता है। इसका जरूरत से ज्यादा बनना एंग्जायटी, डिप्रेशन को ट्रिगर करता है, जिसका बॉडी पर नेगेटिव असर देखने को मिलता है।
2. तापमान बढऩे से मेलाटोनिन हार्मोन का लेवल बिगडऩे लगता है, जिससे स्लीपिंग पैटर्न बिगडऩे लगता है। नींद से कमी या किसी भी तरह की बाधा सीधे मूड पर असर डालती हैं। नींद पूरी न होने से पाचन भी खराब रहता है।
3. गर्मी बढऩे के चलते सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर के मरीजों की भी प्रॉब्लम बढ़ जाती है। हर वक्त डिप्रेस रहना, बातचीत न करना, थकान, आलस जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
4. गर्मी बढऩे की वजह से जब रातों की नींद पूरी नहीं होती तो इससे हार्मोन्स का बैलेंस बिगडऩे लगता है। डोपामाइन न्यूरो केमिकल की अधिकता से व्यक्ति मेनिया का शिकार हो जाता है और जरूरत से ज्यादा बोलने लगता है या बड़बड़ाते रहता है। बात-बात पर गुस्सा होना भी इसके लक्षणों में शामिल है।
हीट वेव से बचने के लिए इन टिप्स को करें फॉलो
कड़ी धूप खासतौर से सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 4 बजे तक बाहर निकलना अवॉयड करें।
घर को ठंडा रखने के लिए रात में खिड़कियां खोल दें, लेकिन ये तरीका तभी काम करेगा जब बाहर का मौसम अंदर की अपेक्षा कम होगा।
घर में जहां सीधी धूप आती है वहां पर्दे, ब्लाइंडर्स लगाएं।
शरीर में पानी की कमी न होने दें। इसके लिए पानी के साथ दूसरे लिक्विड्स जैसे नारियल पानी, फलों व सब्जियों का जूस पीते रहें।
इस मौसम में हल्के व ढीले कपड़े पहनें।
यह भी पढ़ें : मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 6 जुलाई तक बढ़ी