जानें कितने दिन चलती है टूथब्रश, सही इस्तेमाल का ये तरीका

टूथब्रश
टूथब्रश

जब भी बात शरीर को स्वस्थ रखने की होती है तो हम सभी का ध्यान हृदय, फेफड़े, किडनी-लिवर जैसे अंगों पर जाता है। पर हम में से अधिकतर लोग अक्सर मौखिक स्वच्छता को अनदेखा कर देते हैं। डॉक्टर कहते हैं, जितना जरूरी शरीर के बाकी अंगों पर ध्यान देना है उतना ही आवश्यक है कि आप ओरल हेल्थ पर भी ध्यान दें। एक शोध में वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि दांतों और मसूड़ों की साफ-सफाई और देखभाल में कमी मस्तिष्क, पेट सहित शरीर में कई तरह की दिक्कतें पैदा करने वाली हो सकती है। मसूड़ों की बीमारी, दांतों की कमजोरी, ब्रश न करने की आदत और खराब मौखिक स्वास्थ्य के कारण अल्जाइमर से लेकर स्ट्रोक जैसी खतरनाक समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है।
जब बात मौखिक स्वास्थ्य और स्वच्छता की हो तो टूथब्रश कौन सा लें और इसे कितने समय पर बदलना है, इस बारे में जानना भी बहुत जरूरी हो जाता है। क्या आप भी एक ही ब्रश को 6-7 महीने या सालभर तक चलाते रहते हैं?

तीन महीने में बदल लेना चाहिए टूथब्रश

टूथब्रश
टूथब्रश

अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन के विशेषज्ञ कहते हैं कि हर तीन महीने में सभी लोगों को टूथब्रश बदल लेना चाहिए। आमतौर पर तीन महीने में ब्रश के बाल (ब्रिसल्स) घिस जाते हैं, उनकी दांतों की सफाई करने की क्षमता कम हो जाती है। इसके अलावा लंबे समय तक एक ही ब्रश का इस्तेमाल करते रहने से उन पर बैक्टीरिया की संख्या भी बढ़ जाती है। इसी से संबंधित एक अध्ययन में पाया गया कि पुराने ब्रश पर 10 लाख से ज्यादा बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं, जो मुंह में जाकर दांतों और मसूड़ों के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

क्या कहते हैं दंत रोग विशेषज्ञ?

दंत रोग विशेषज्ञ डॉ ताहिरा रिजवान कहती हैं, टूथब्रश का रोजाना इस्तेमाल होता है और उस पर समय के साथ भोजन के छोटे-छोटे कण, बैक्टीरिया और नमी जमा होते जाते हैं। ऐसे में बहुत लंबे समय तक एक ही ब्रश के इस्तेमाल से बचना चाहिए। दांत और मसूड़े सिर्फ खाना-चबाने के लिए नहीं, बल्कि पूरे शरीर की सेहत से जुड़े हैं। ब्रश की खराबी और इसके कारण अगर ओरल हाइजीन पर असर पड़ता है तो मुंह में बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं। ये सिर्फ दांतों को नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि दिल, फेफड़े और पाचन तंत्र को भी प्रभावित कर सकते हैं।

ओरल हाइजीन के कारण कई प्रकार की बीमारियों का खतरा

अमेरिकन जर्नल ऑफ मेडिसिन ने एक अध्ययन में बताया कि मसूड़ों की बीमारी वाले लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में 20-30त्न अधिक होता है। यानी यह सिर्फ दांतों की बात नहीं, पूरे शरीर की सेहत पर असर डालता है। वैसे तो सभी लोगों को 90 दिनों पर ब्रश बदल लेने की सलाह दी जाती है लेकिन कुछ स्थितियों में टूथब्रश को तुरंत बदल लेना चाहिए। अगर आपको सर्दी-जुकाम, फ्लू, या कोविड हुआ है तो रिकवरी के बाद टूथब्रश बदलना जरूरी है। उसी ब्रश के बाद में भी इस्तेमाल से ब्रश में चिपके बैक्टीरिया और वायरस दोबारा संक्रमण फैला सकते हैं। इसके अलावा अगर ब्रिसल्स टेढ़े-मेढ़े या टूटे हुए लग रहे हैं, तो इससे दांत साफ नहीं हो पाता है ऐसे ब्रश को भी तुरंत बदल लें।

ब्रश खरीदते समय भी बरतें सावधानी

चूंकि टूथब्रश हमारे ओरल हाइजीन का सबसे जरूरी हिस्सा है ऐसे में इसको खरीदते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखें। डॉक्टर कहते हैं, हमेशा सॉफ्ट ब्रिसल्स वाला ब्रश ही लें क्योंकि हार्ड ब्रिसल्स दांत की ऊपरी परत (एनामेल) को नुकसान पहुंचाते हैं। ब्रश का साइज छोटा हो ताकि वह मुंह के हर कोने तक पहुंच सके। बच्चों के लिए अलग ब्रश और बड़ों के लिए अलग आकार का ब्रश जरूरी है। इन सबके अलावा रोजाना दिन में कम से कम दो बार अच्छे से दांतों और जीभ की सफाई जरूर करें।

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