प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ मुख्यमंत्री लालदुहोमा कर चुके हैं चर्चा
आइज़ोल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को मिज़ोरम में बैराबी-सैरांग रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे। प्रधानमंत्री 12 सितंबर को राज्य की राजधानी पहुंचेंगे और यहीं रात्रि विश्राम करेंगे। अगले दिन वह नई रेलवे लाइन का उद्घाटन करेंगे। मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने शुक्रवार को आइज़ोल में मिज़ोरम पुलिस सेवा संघ (एमपीएसए) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के दौरे के संबंध में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ उनकी चर्चा भी हो चुकी है। उन्होंने आगे बताया कि यह लाइन मिजोरम के लिए महत्वपूर्ण है, जो अब राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाएगा। यह पूर्वोत्तर भारत में रेल कनेक्टिविटी को मजबूत कर आइज़ोल को रेलवे मानचित्र पर लाएगी, क्योंकि सैरांग राजधानी शहर के पास स्थित है। साथ ही सैरांग रेलवे स्टेशन को विश्व स्तरीय सुविधा केंद्र में अपग्रेड किया जाएगा और राजधानी ट्रेन सेवाएं चलाई जाएंगी।
48 सुरंगें, एक पुल तो कुतुब मीनार से भी ऊंचा
इंजीनियरों ने इसे एक अद्भुत परियोजना बताई हैं, यह रेलवे लाइन अपने आप में बहुत ही सुंदर मार्ग कुदरत के मनमोहक नजारों से भरपूर होगी। 12.8 किलोमीटर लाइन के खंड में 48 सुरंगें, 55 बड़े पुल और 87 छोटे पुल हैं। पुल संख्या 196 की ऊंचाई तो 104 मीटर है, जो कुतुब मीनार से भी ऊंचा है। 51.38 किलोमीटर लंबी यह रेलवे लाइन परियोजना केंद्र की एक्ट ईस्ट नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है।
असम के सिलचर शहर और देश के बाकी हिस्सों से जोड़ेगी
नई रेलवे लाइन मिज़ोरम पूरी तरह से देश के रेलवे मानचित्र में उभारेगी, इसके अलावा आइज़ोल को असम के सिलचर शहर और देश के बाकी हिस्सों से भी जोड़ेगी। यह लाइन जुड़ने से आइजोल की देश के साथ कनेक्टिविटी बढ़ेगी, जिससे पर्यटन के साथ.साथ रोजगार के अवसर खुलने में मदद मिलेगी।
इंजीनियरिंग चुनौतियाँ शामिल थीं
बैराबी–सैरांग रेलवे लाइन मिजोरम राज्य की 51.38 किलोमीटर लंबी नई ब्रॉड गेज रेल लाइन है, जिसे बैराबी से सैरांग तक बिछाया गया है। इस परियोजना में कई इंजीनियरिंग चुनौतियाँ शामिल थीं, जिनमें पहाड़ी इलाका, सुरंगें और पुल शामिल हैं। परियोजना में दुर्गम पहाड़ी और भूकंप-संभावित क्षेत्रों से गुजरना पड़ा, जिससे यह अत्यधिक चुनौतीपूर्ण हो गई।
मुख्य विशेषताएँ
लंबाई:
यह परियोजना कुल 51.38 किलोमीटर की है।
सुरंगें:
इस मार्ग पर 48 सुरंगें हैं, जिनकी संयुक्त लंबाई 12.85 किलोमीटर है।
पुल:
परियोजना में 142 पुल शामिल हैं, जिनमें भारत का सबसे ऊंचा रेलवे खंभा भी शामिल है।