लिपुलेख पर भारत-चीन समझौते को लेकर नेपाल में विरोध

Nepal Parliament
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काठमांडू। नेपाल की संसद में भारत और चीन के बीच हुए समझौते का जोरदार विरोध किया जा रहा है। इस समझौते में लिपुलेख का जिक्र है, जिसे नेपाल अपना हिस्सा मानता है। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों के सांसद एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं।

सांसदों की मुख्य मांगें:

नेपाली कांग्रेस के महामंत्री गगन थापा ने इस समझौते को गैर-कूटनीतिक बताते हुए कहा कि लिपुलेख का दक्षिणी हिस्सा नेपाल का है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आगामी भारत और चीन दौरे के दौरान इस मुद्दे को उठाने की अपील की।

सत्तापक्ष यूएमएल के प्रमुख सचेतक महेश बरतौला ने कहा कि नेपाल को बिना जानकारी दिए उसके भूभाग पर हुए इस समझौते को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने सरकार से इस सीमा विवाद का दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए कूटनीतिक पहल करने का आग्रह किया।

प्रमुख प्रतिपक्षी दल माओवादी के प्रवक्ता अग्नि सापकोटा ने प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर सदन में आकर जवाब देने की मांग की। उन्होंने जोर दिया कि इस विवाद का हल राजनीतिक तरीके से नहीं, बल्कि कूटनीतिक रूप से निकाला जाना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और अन्य छोटे दलों के सांसदों ने भी इस समझौते को अस्वीकार करते हुए भारत और चीन दोनों के साथ तत्काल कूटनीतिक बातचीत शुरू करने की मांग की है।

यह विरोध दर्शाता है कि लिपुलेख का मुद्दा नेपाल में कितना संवेदनशील है और सभी राजनीतिक दल इस पर एकजुट हैं।