सरल जीएसटी से उपभोक्ता धारणा को मिलेगा बढ़ावा, ख़ाद्य वस्तुएं होंगी सस्ती

जीएसटी परिषद
जीएसटी परिषद

नई दिल्ली। जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को उचित बनाना एक महत्वपूर्ण कदम है जिसके कई आर्थिक लाभ हो सकते हैं। हाल की रिपोर्टों और विशेषज्ञों के विश्लेषण के अनुसार, मुनासिब जीएसटी से उपभोक्ता धारणा को बढ़ावा मिलेगा और मांग में वृद्धि होगी। यह कई तरह से काम करता है:

1. कर का बोझ कम होना और कीमतें घटना:

जीएसटी दरों को सरल बनाने और कुछ वस्तुओं पर कर कम करने से उपभोक्ताओं पर कुल कर का बोझ कम होगा।

उदाहरण के लिए, यदि 12% और 28% जैसे स्लैब को हटाकर अधिकांश वस्तुओं को 5% और 18% के दो मुख्य स्लैब में रखा जाता है, तो कई दैनिक उपयोग की वस्तुएं और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी।

कम कीमतें सीधे तौर पर उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को बढ़ाती हैं, जिससे वे अधिक खरीदारी करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।

2. बढ़ी हुई उपभोक्ता धारणा (कंज्यूमर सेंटिमेंट):

जब उपभोक्ता महसूस करते हैं कि कीमतें कम हो रही हैं या स्थिर हैं, तो उनमें खर्च करने का आत्मविश्वास बढ़ता है।

यह विशेष रूप से त्योहारी मौसम जैसे महत्वपूर्ण समय में मांग को बढ़ावा दे सकता है।

कम कीमतों से विशेष रूप से कम आय वाले परिवारों को मदद मिलती है, क्योंकि अप्रत्यक्ष कर संरचनाएँ प्रतिगामी (regressive) प्रकृति की होती हैं।

3. मांग में वृद्धि:

जीएसटी दरों में कमी से उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं (consumer durables) जैसे एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर और ऑटोमोबाइल की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि जीएसटी दर युक्तिकरण से ₹2.4 लाख करोड़ तक की मांग बढ़ सकती है।

यह बढ़ी हुई मांग अंततः उत्पादन और आपूर्ति को प्रोत्साहित करती है, जिससे आर्थिक विकास में तेजी आती है।

4. अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव:

जीएसटी दरों का युक्तिकरण भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 50-70 आधार अंकों की वृद्धि कर सकता है।

मांग में वृद्धि से व्यावसायिक धारणा में सुधार होगा, जिससे उत्पादन क्षमता का अधिक उपयोग होगा और अंततः रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।

कम जीएसटी दरें मुद्रास्फीति को भी कम करने में मदद कर सकती हैं।

5. व्यवसायों को लाभ:

एक सरल जीएसटी ढांचा विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) के लिए अनुपालन लागत को कम करेगा।

यह ‘व्यवसाय करने में आसानी’ (ease of doing business) को बढ़ावा देगा और एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का निर्माण करेगा।

संक्षेप में, जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने से न केवल कर प्रणाली सरल और अधिक कुशल बनती है, बल्कि यह उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम करके और क्रय शक्ति बढ़ाकर आर्थिक विकास को भी गति देती है।