नई दिल्ली। सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) की हालिया निदेशक मंडल बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। जिसमें बहुत बड़ी कंपनियों के लिए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) लाने से जुड़ी न्यूनतम शर्तों को आसान करने के साथ ही न्यूनतम सार्वजनिक निर्गम (MPO) और न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (MPS) को पूरा करने की समय-सीमा बढ़ाई गई।
विदेशी निवेशकों के लिए राहत
- वन-विंडो एक्सेस (Single Window Access) व्यवस्था शुरू होगी।
- कम जोखिम वाले विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय पूंजी बाजार में प्रवेश आसान होगा।
- उद्देश्य है अनुपालन को सरल बनाना और भारत को निवेश गंतव्य के रूप में और आकर्षक बनाना।
एंकर निवेशकों के लिए नया ढांचा
- आईपीओ में एंकर निवेशकों के लिए शेयर आवंटन ढांचे में सुधार किया गया।
- इससे वैश्विक संस्थागत निवेशकों की भागीदारी और बढ़ने की संभावना है।
- बाजार निगरानी को मजबूत करना
शेयर बाजार और अन्य बाजार अवसंरचना संस्थानों की परिचालन निगरानी के लिए दो कार्यकारी निदेशक (ED) अनिवार्य होंगे।
रीट और इनविट में बदलाव
- रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs) और इंफ्रास्ट्रक्चर इनविट (InvITs) को इक्विटी उत्पादों के रूप में वर्गीकृत किया गया।
- कुल मिलाकर, ये सुधार कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने की प्रक्रिया को आसान बनाएंगे, विदेशी निवेश आकर्षित करेंगे और भारतीय बाजार को अधिक पारदर्शी व निवेशक-अनुकूल बनाएंगे।
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