शेयर बाजार : विश्वास रखिए मंदी से जल्द उभरेगा भारतीय बाजार

शेयर बाजार
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ट्रंप की नीतियों, चीन के साथ व्यापार से भारत को बड़ा लाभ मिलने के संकेत

भारतीय शेयर बाजार के मनोभाव में अब एक नया परिवर्तन आया है। अब मार्केट नकारात्मक समाचारों, आंकड़ों को पचाकर तेज होने में सफल हो रहा है। नहीं तो पिछले सप्ताह गुरुवार को एफआईआई की नकद संभाग में 11756 करोड़ रुपए की भारी भरकम बिकवाली के बाद अगले दिन निफ्टी में 214 अंकों की तेजी नहीं आती वो भी तब जब इस दिन भी एफआईआई ने नकद संभाग में फिर 4383 करोड़ रुपए के शेयर बेचे ही। यह भारतीय भारतीय बाजार एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन था, एक शक्तिशाली संदेश था।

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अडानी समूह
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ऊंची मुद्रास्फीति आदि कारकों को भी मार्केट पचाता सा ही दिख रहा है। गिफ्ट निफ्टी पर भरोसा करें तो भारत की वित्तीय वर्ष 2024 25 की दूसरी तिमाही की जीडीपी के धीमा हो 5.4 प्रतिशत आने को भी यह आत्मसात करता दिख रहा है, क्योंकि निफ्टी की 24131 की तुलना में गिफ्ट निफ्टी 24395 पर तेज बंद हुआ है। यदि सोमवार को गिफ्ट निफ्टी की तेजी निफ्टी में भी दिखती है तो फिर यह मार्केट में अच्छी तेजी का आधार बना सकता है। चूंकि मार्केट में पिछले कुछ महीनों में अच्छी गिरावट दिखी थी, अत: विभिन्न उछालों पर उसका शक्ति का परीक्षण होगा। 24500 के ऊपर निफ्टी बंद होने पर एक अच्छी तेजी का तकनीकी संकेत मिल सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में अब मंदी अधिक समय तक टिक नहीं सकती है। एक तो हमारी उत्सवमय संस्कृति है जो अर्थव्यवस्था को भी सतत गतिशील रखती है, साथ ही देश में समृद्धि, संपन्नता का आगमन तथा विस्तार, दोनों हो रहा है।

वाहन उद्योग में मंदी थी परंतु अक्टूबर में त्यौहार थे, विक्रय 32 प्रतिशत बढ़ गया। इसमें भी 55 प्रतिशत दोपहिया वाहन तथा 39 प्रतिशत कारें ग्रामीण क्षेत्रों में बिकी जो समृद्धि के विस्तार का द्योतक है।इस बार खाद्यान्न उत्पादन का भी नया कीर्तिमान बनेगा जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और भी शक्तिशाली बनाएगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का शक्तिशाली होते जाना भारत ,भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अच्छा है। इसे अर्थव्यवस्था का रिस्क भी कम होता है। किसी भी अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का एक बड़ा संकेत गृह निर्माण क्षेत्र होता है।गृह निर्माण क्षेत्र में मांग में वृद्धि है।

शेयर मार्केट में बजट पूर्व क्रय की संभावना

ट्रंप
ट्रंप

ट्रंप की नीतियों, चीन के साथ व्यापार युद्ध से भारत को लाभ मिलने की संभावना है। बजट को लेकर बहुत आशाएं हैं। शेयर मार्केट में बजट पूर्व क्रय भी आरंभ हो सकता है। एक उल्लेखनीय बात और हुई है। एफआईआई की बड़े विक्रय के बाद भी बढऩे तथा घटने वाले शेयरों का अनुपात सकारात्मक ही रहा है। यह, बड़े उच्च वित्तीय क्षमता तथा छोटे ,दोनों घरेलू निवेशकों के मार्केट में पुन: अच्छी शक्ति के साथ प्रवेश का संकेत है। लगता है घरेलू निवेशक ये मान कर चल रहें हैं कि विदेशियों के पास जो शेयर हैं,उन्हें बेचना है तो बेचे,हम तो अपनी रुचि के शेयरों में क्रय करेंगे।इसलिए बहुत से ऐसे शेयरों में अच्छी तेजी देखी गई है।यह क्रम बना रह सकता है।

जनवरी से मार्च तक इंश्योरेंस कंपनियों, म्यूचुअल फंड के पास भी अतिरिक्त अच्छी राशि आती है जिसका एक बड़ा भाग शेयर मार्केट में निवेशित होता है। एफआईआई की भी बिकवाली मासिक आधार पर थोड़ी ढीली पड़ी है। नवंबर में उन्होंने नकद संभाग में 45974 करोड़ रूपए का विक्रय किया जबकि अक्टूबर में यह 114445 करोड़ रूपए था।घरेलू संस्थागत निवेशकों ने नकद संभाग में नवंबर में 44483 करोड़ रूपए के शेयर क्रय किए। अमेरिकी शेयर मार्केट तो ऐतिहासिक ऊंचाई बना रहें हैं। डाउ ने 45071 का नया स्तर बनाया। अमेरिकी मार्केट की तेजी अन्य वैश्विक मार्केट का मनोभाव भी अच्छा ही रखती है।

युद्धों में भी ठंडक आने की संभावना बन रही। यूक्रेन ने भी युद्ध विराम,समझौते की बात कही है।यह संपूर्ण वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा। मोदी सरकार भी महाराष्ट्र में बड़ी तथा निर्णायक बढ़त के पश्चात आर्थिक गतिविधियों एवं आधारभूत परियोजनाएं पर अधिक सक्रिय होंगी।क्रूड भी 73 डॉलर प्रति बैरल के संतोषजनक स्तर पर है। रुपए में गिरावट एक नकारात्मक कारक है परंतु इसके कई क्षेत्रों को लाभ भी होते हैं। थोड़ी प्रतीक्षा करें,यदि मार्केट अगले कुछ दिन मंदे नहीं होते हैं तो फिर अच्छे मूल्यांकन पर उपलब्ध शेयरों में आक्रामक क्रय भी किया जा सकता है। भारतीय संस्कृति कैसे अर्थव्यवस्था को गतिशील रखती है, इस पर तो पूरे विश्व में एक व्यापक अध्ययन तथा अनुसरण होना चाहिए।

– अर्पित मोदी
इन्वेस्टमेंट इनसाइट्
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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