दो देश और तीन राज्यों से सटे मिजोरम में बैराबी-सैरांग रेल लाइन से बढ़ी संभावनाएं, जानिए कैसे सच होंगे युवाओं के सपने, मिलेगी बुनियादी सुविधाएं

नई दिल्ली। भारत का उत्तर पूर्वी राज्य मिजोरम दुर्गम व पहाड़ी क्षेत्र है जहां संसाधनों का काफी अभाव है। क्योंकि, यहां अब तक रेल लाइन नहीं होने से यात्रा और माल ढुलाई के लिए बस व अन्य छोटे साधनों पर निर्भर रहना पड़ता था। अब भारतीय रेलवे ने यहां बैराबी-सैरांग रेल लाइन पहुंचाकर मिजोरम के लोगों का जीवन आसान बनाने का काम किया है। रेलवे की इस पहल से मिजोरम में संभावनाएं जागी हैं। देश के अन्य हिस्सों से राज्य की कनेक्टिविटी नहीं थी। इस कारण यहां के आम लोगों का जीवन बहुत कठिन माना जाता है। लेकिन भारतीय रेलवे की इस प्रदेश के लोगों को राहत मिलेगी और यहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। अब सवाल यह उठता है कि मिजोरम में यह रेल लाइन इतनी जरूरी क्यों थी और इससे प्रदेशवासियों को कितना लाभ होगा। आईए जानते हैं……..

दो देश और तीन राज्यों से सटे मिजोरम में बैराबी-सैरांग रेल लाइन से बढ़ी संभावनाएं, जानिए कैसे सच होंगे युवाओं के सपने, मिलेगी बुनियादी सुविधाएं

संभावना वाला प्रदेश, लेकिन रेल कनेक्टिविटी नहीं होने से बढ़ी मुश्किलें

मिजोरम को “द लैंड ऑफ हिल्स” के नाम से जाना जाता है। अगर यहां की भौगोलिक स्थिति की बात करें तो यह बहुत ही संभावना वाला प्रदेश है क्योंकि मिजोरम के पश्चिम में बांग्लादेश और पूर्व और दक्षिण में म्यांमार के साथ 722 किलोमीटर (449 मील) की अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करता है, 1.26 मिलियन यानि 12.6 लाख (2023 तक) की अनुमानित जनसंख्या वाले मिजोरम की घरेलू सीमा असम, मणिपुर और त्रिपुरा राज्यों के साथ लगती है। यह 21,081 वर्ग किलोमीटर (8,139 वर्ग मील) के क्षेत्र को कवर करता है। मिजोरम का 84 प्रतिशत से अधिक फॉरेस्ट एरिया है, जो देश में चौथा स्थान रखता है। यहां रेल लाइन पहुंचने से देश के अन्य हिस्सों से कनेक्टिविटी बढ़ेगी। पहले लाइन नहीं होने से यहां पहुंच इतनी आसान नहीं थी, इस कारण यहां पर्यटकों का आवगमन बढ़ेगा। खूबसूरत और प्राकृतिक सौंदर्य नजारों का आनंद लेते हुए लाखों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचेंगे, जिससे यहां के स्थानीय रोजगार की संभानाएं बढ़ेंगी। यह रेल लाइन मिजोरम को सीधे असम के सिलचर और वहां से पूरे देश के रेलवे नेटवर्क से जोड़ देगी।

म्यांमर के लिए मिजोरम बनेगा भारत के नॉर्थ ईस्ट का मुख्यद्धार

मिजोरम की बैराबी-सैरांग रेल लाइन को भविष्य में म्यांमर तक विस्तार करने की योजना है, अगर यह परियोजना सफल रही तो मिजोरम के विकास को नए पंख लग जाएंगे। क्योंकि, पड़ौसी देश से कारोबार का एक नया रास्ता खुलेगा और पर्यटन भी बढ़ेगा। वह दिन भी दूर नहीं जब बैराबी-सैरांग रेल लाइन के जरिए म्यांमर के लोगों के लिए मिजोरम भारत के नॉर्थ ईस्ट का मुख्यद्धार बनेगा। जिससे यह भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग बन जाएगा।

शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरुरत तक आसान होगी पहुंच

इस परियोजना के पूरा होने के बाद अब पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में से 4 की राजधानियां (असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, और मिजोरम) भारतीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ चुकी हैं। नागालैंड और मणिपुर की राजधानियों को भी जल्द ही इस नेटवर्क से जोड़ने पर काम चल रहा है। इसको सबसे बड़ा लाभ यह होगा यह कि यहां लोगों को देश के अन्य हिस्सों में जाने के लिए सुरक्षित और सुलभ रेल य़़ात्रा मुहैया हो जाएगी। यहां के लोगों के लिए देश के अन्य हिस्सों में जाकर व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और पर्यटन जैसी बुनियादी जरुरत व जरूरी सुविधाओं तक उनकी पहुंच आसान हो जाएगी। यहां के युवाओं में भी एक आस जागी है, क्योंकि उन्हें आसान और सुलभ य़ात्रा की बदौलत देश के अन्य हिस्सों में पहुंचकर शिक्षा और करियर बनाने का सपना सच होता दिखाई दे रहा है।

ट्रेन से माल ढुलाई आसान और सस्ती हो जाएगी

मिजोरम बरसात के दिनों में भूस्खलन जैसी समस्याओं सेजूझता है, लेकिन ट्रेन से यात्रा साल भर सुरक्षित और आसान हो जाएगी। इलाके के कई लोग रोजी-रोटी के लिए मिजोरम के विभिन्न इलाकों में रहते हैं, उनका जीवन आसान तो होगा। ट्रेन से माल ढुलाई आसान और सस्ती हो जाएगी, जिससे स्थानीय उद्योगों और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। इससे बाजार में वस्तुओं की कीमतें भी कम होंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधारशिला रखी

बताते चलें  बैराबी–सैरांग रेलवे लाइन मिजोरम राज्य की 51.38 किलोमीटर लंबी नई ब्रॉड गेज रेल लाइन है, जिसे बैराबी से सैरांग तक बिछाया गया है। 8071 करोड़ रुपए लागत आई है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की कल्पना सबसे पहले 1999 में की गई थी। इसके बाद 29 नवंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी। विभिन्न भौगोलिक चुनौतियों, और दुर्गम इलाकों के कारण निर्माण कार्यों में आई जटिलता के बावजूद रेलवे ने 2025 में यह परियोजना पूरी की।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर 2025 को इसका उद्घाटन करने जा रहे है। ट्रेनों की अधिकतम रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा की होगी।