रात से ज्यादा दिन में रहता है हार्ट अटैक का खतरा, जानें वजह

हार्ट अटैक
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यदि आपकी लाइफ में स्टै्रस है और भागदौड़ असंतुलित खान-पान और नींद की कमी रहती है तो ये आपके दिल पर भारी पड़ सकता है। फिर भले ही आप अपने आपको कितना भी फिट रखने की कोशिश करते रहें, लेकिन जब आप नींद पूरी नहीं लेंगे और खान-पान ठीक नहीं करेंगे तो आपके दिल का बीमार होना निश्चित है। शोध बताते हैं कि हार्ट अटैक का खतरा दिनभर समान नहीं रहता, बल्कि एक खास समय में ये आशंका कई गुना बढ़ जाती है। इसकी वजह है शरीर का बायोलॉजिकल क्लॉक यानी सर्कैडियन रिदम। किस समय हार्ट अटैक सबसे ज्यादा होता है, आइए इस बारे में डॉक्टर से विस्तार से समझते हैं।

हार्ट अटैक का खतरा

हार्ट अटैक
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हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं, अगर आपको लगता है कि हार्ट अटैक कभी भी हो सकता है तो ये सही है, पर ये भी जानना जरूरी है कि दिन के कुछ विशेषज्ञ घंटों में इसका जोखिम कई गुना अधिक हो सकता है। ये समय है भोर का। हृदय रोग विशेषज्ञ के कहते हैं ज्यादातर लोग सोचते हैं कि दिल का दौरा अचानक पड़ता है। हालांकि इसका सबसे ज्यादा खतरा सुबह के शुरुआती घंटों में होता है, जब आप अभी बिस्तर पर होते हैं।

सुबह के समय क्यों बढ़ जाता है हार्ट अटैक का जोखिम

डॉक्टर कहते हैं, रात की समाप्ति और प्रात: काल वह समय होता है जब कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन बढ़ जाते हैं, रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और रक्तचाप बढ़ जाता है। जिन लोगों को पहले से ही उच्च रक्तचाप या धमनियों में प्लाक की दिक्कत रही है उनके लिए यह समय सबसे खतरनाक हो सकता है। अगर आप दवाइयां लेना छोड़ देते हैं या ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ा हुआ रहता है तो इससे हार्ट अटैक का जोखिम और भी बढ़ सकता है।

ब्लड प्रेशर की दवा समय पर लें

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार रक्तचाप की दवा सुबह की बजाय रात में लेने से ज्यादा फायदा हो सकता है। रिपोर्ट में 19,000 से अधिक मरीजो पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि दवा को रात में खाया जाए तो इसका अगले 8-10 घंटे असर रहता है जिससे हृदय संबंधी मृत्यु और बीमारियों का खतरा लगभग आधा हो जाता है। हालांकि ये आपकी सेहत को देखते हुए डॉक्टर निर्धारित करते हैं कि आपको किस समय दवा लेनी चाहिए।

हृदय रोगों की डराने वाली रिपोर्ट

हृदय रोगों के बढ़ते खतरे को लेकर हाल ही में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के तहत किए गए सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे की रिपोर्ट में विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि भारत में होने वाली सभी मौतों में से एक-तिहाई का कारण हृदय रोग हैं। दिल की बीमारियां देश में मृत्यु दर का प्रमुख कारण बनी हुए हैं, जो लगभग 31 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार हैं।

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