डायबिटीज के बढ़ते मामले कितने चिंताजनक हैं, इसका अंदाजा तो आपको होगा ही, लेकिन क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज से पहले एक फेज आता है, जिसे प्रीडायबिटीज कहा जाता है। यह एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें ब्लड शुगर का स्तर नॉर्मल से ज्यादा होता है, लेकिन डायबिटीज के लिए काफी नहीं होता। यह कंडीशन डायबिटीज होने का एक अहम रिस्क फैक्टर है। अगर समय रहते इसके लक्षण पहचान कर इलाज किया जाए, तो डायबिटीज को रोका जा सकता है। डायबिटीज होने के ये हैं लक्षण, इन तरीकों से करें बचाव
प्री-डायबिटीज के लक्षण
प्री-डायबिटीज के शुरुआती स्टेज में कोई खास लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। लेकिन जैसे-जैसे यह कंडीशन बढ़ती जाती है, कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे-
बार-बार प्यास लगना- अगर आपको लगातार प्यास लगती है और आप बहुत पानी पी रहे हैं तो यह प्री-डायबिटीज का संकेत हो सकता है।
बार-बार पेशाब आना- अगर आपको रात के समय भी बार-बार पेशाब आने की समस्या है तो यह भी प्री-डायबिटीज की ओर इशारा करता है।
थकान महसूस होना- अगर आपको लगातार थकान महसूस होती है और आपका काम करने की क्षमता कम हो गई है तो यह भी प्री-डायबिटीज का लक्षण हो सकता है।
वजन बढऩा- अगर आपका वजन तेजी से बढ़ रहा है, खासकर पेट के आसपास तो यह भी प्री-डायबिटीज की ओर इशारा हो सकता है।
धुंधला दिखना- अगर आपको ठीक से दिखाई नहीं दे रहा है या चीजें धुंधली दिख रही हैं तो यह भी प्री-डायबिटीज का संकेत हो सकता है।
त्वचा पर खुजली- अगर आपको त्वचा पर खुजली हो रही है तो यह भी प्री-डायबिटीज का संकेत हो सकता है।
प्री-डायबिटीज के कारण
प्री-डायबिटीज के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं-
ज्यादा वजन- ज्यादा वजन होने से शरीर इंसुलिन का असरदार तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता है।
फिजिकल एक्टिविटी की कमी- नियमित एक्सरसाइज न करने से शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ सकता है।
जेनेटिक फैक्टर- अगर आपके परिवार में किसी को डायबिटीज है तो आपको भी होने का खतरा ज्यादा होता है।
उम्र- बढ़ती उम्र के साथ प्री-डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे कर सकते हैं इससे बचाव?
प्री-डायबिटीज को रोका जा सकता है या इसके दुष्परिणामों को भी कम किया जा सकता है। इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा, जैसे-
वजन कम करें- अगर आपका वजन ज्यादा है, तो वजन कम करने से प्री-डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है।
नियमित एक्सरसाइज करें- रोजाना कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी करने से शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस कम होता है।
हेल्दी डाइट लें- फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम फैट और प्रोटीन से भरपूर डाइट लें।
शुगर और सेचुरेटेड फैट कम खाएं- शुगर और सेचुरेटेड फैट वाले फूड आइटम्स खाने से कम करने से ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
स्मोकिंग छोड़ें- स्मोक करने से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
तनाव कम करें- तनाव भी ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित करता है। इसलिए तनाव कम करने के लिए योग, ध्यान या अन्य तकनीकों की मदद लें।
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