ये टिप्स देंगे आपको हिम्मत यदि आप मां बनने के बाद पहली बार लौट रही हैं काम पर

मां बनने के बाद पहली बार कार्यालय जाने पर क्या करें
मां बनने के बाद पहली बार कार्यालय जाने पर क्या करें

क्या आप एक नई मां हैं, जो दोबारा अपने काम पर जाने को तैयार है? या फिर बच्चा होने के पांच साल के ब्रेक के बाद आपने दोबारा अपने काम को शुरू करने का सोचा है? ऐसे में संभव है कि डर और ग्लानि आपका पल्लू पकड़े आपके पीछे चल रहा हो। आइए जानते हैं कि इस भावना से कैसे निपटता जा सकता है, जो हर उस मां को महसूस होती है। खासतौर पर जो महिलाएं मातृत्व के सुंदर एहसास के बाद अपने करियर के बारे में सोचती है ।

मां बनने की भावना बेहद अनमोल है। आपको सबसे पहले भगवान का शुक्रियादा करना चाहिए कि आपको उन्होंने इस खास तोहफे से नवाज़ा और आप मातृत्व के साथ आप अपने करियर पर भी ध्यान दे पा रही हैं। सभी महिलाएं इतनी खुशनसीब नहीं होतीं कि वह मां बनने के साथ जॉब का सुख भी पा सकें या करियर के साथ पैरेंटहुड की जिम्मेदारियां भी निभा सकें। ऐसे में गिल्ट यानी ग्लानि जैसी भावना अपने दिल में न रखें।

खुद को मजबूत करें

खुद को मजबूत करें
खुद को मजबूत करें

अगर आपका बच्चा कुछ महीने का है तो उसके लिए ब्रेस्टमिल्क पम्प करके जाएं और केयरगिवर को अच्छे से बच्चे की सभी ज़रूरतें समझाएं। उसके डायपर और कपड़े पर्याप्त मात्रा में रख दें। इस स्टेज में बच्चे को अपनी जरूरतों से मतलब होता है, वो भावनात्मक रूप से आपको इमोशनल करके कहीं जाने से रोकेगा नहीं। इसलिए आप खुद को मजबूत करें और निकल पड़ें।

ऐसे लड़ें इस समस्या से

ऐसे लड़ें इस समस्या से
ऐसे लड़ें इस समस्या से

अगर बच्चा एक से तीन साल का है तो उसका सिपर, कपड़े, खिलौने सबकुछ सेट करके रखें जिससे उसे किसी चीज की कमी महसूस न हो। इस स्टेज में बच्चे रो कर आपको काम पर जाने से रोक सकते हैं। यह भावनात्मक लड़ाई दोनों तरफ चलती है, लेकिन आप व्यस्क हैं और आपका काम है समझदारी से इस स्थिति का सामना करना। बच्चे के सामने कमजोर न हों, उन्हें उनकी भाषा में ही समझाएं कि जैसे अब वो धीरे-धीरे स्कूल जाने की तैयारी करेगा वैसे ही मां को भी अपना स्कूल देखना है, जहां उन्हें बहुत मेहनत करनी होती है। अगर बच्चा काफी रो रहा है, तो बच्चे को गले लगा कर उसे जी भर के रो लेने दें, जिससे उसे आपके स्पर्श का एहसास अगले कुछ घंटों तक रहे।

बच्चा अगर 4 साल या उससे ऊपर का है, तो आपके लिए यह थोड़ा आसान होने वाला है। इस स्टेज पर बच्चे पढ़ाई करने लगते हैं, पैसे की जानकारी होना शुरू हो जाती है, और ऑफिस का मतलब भी समझना शुरू करते हैं। एक रात पहले ही आप उनसे बातें करें और समझाएं कि मां को सुबह ऑफिस जाना है और इस दौरान उसे कैसे रहना है, क्या क्या करना है, ये सब समझाएं। बच्चा ध्यान से सुनेगा तो आपकी सब बातें याद रखेगा। अगर बच्चा दुखी होता है, तो उसे प्यार से गले लगाएं और उसे पढ़ाई का महत्व बताते हुए समझाएं कि ऑफिस जाना क्यों जरूरी है।

काम से वापस घर आने के बाद आप कितना भी थकी हों, बच्चों के पास थोड़ी देर बैठें और उनके दिन भर के अनुभवों को प्यार से सुनें। बच्चों को यह महसूस न हो कि काम की वजह से आप उन पर ध्यान नहीं दे रही हैं। कभी कुछ छोटे तोहफे ले कर घर जाएं जिससे बच्चे को और आपको, दोनों को खुशी मिलेगी। याद रखें, काम पर वापस जाना पूरी तरह से आपका निर्णय होना चाहिए। किसी प्रकार के सामाजिक या पारिवारिक दबाव में ऐसा करने की गलती न करें। कभी कभी परिस्थिति भी ऐसा करने को मजबूर करती है लेकिन तब भी ये आपका तरीका होना चाहिए ऐसी परिस्थिति से निपटने का। उन “चार लोग क्या कहेंगे” वाली जनता से दूरी बनाएं और वही करें जो आपके और आपके परिवार के हित में हो।

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