भोजन के स्वाद में तडक़ा लगाएगा उमामी फ्लेवर, जानिए इसके बारे में

उमामी फ्लेवर
उमामी फ्लेवर

कुछ एक स्वाद होता है, जो जेहन में बस जाता है। सालों बाद भी उसका स्वाद नहीं भूलता। ये गरमा-गर्म सब्जी-चावल भी हो सकता है, सूप या फिर मशरूम और चटपटी टमेटो सॉस की टॉपिंग वाला पिज्जा भी। क्या आपको भी किसी लज्जतदार रेसिपी की महक और फ्लेवर्स आज भी याद है? अगर इसका जवाब हां, तो इसकी वजह है उमामी! उमामी फ्लेवर

उमामी क्या है?

उमामी
उमामी

आप पहले से जिन चार किस्म के स्वादों से वाकिफ हैं (मीठा, नमकीन, खट्टा और कड़वा) यह उन सबसे अलग पांचवा स्वाद है, जिसे एक खास किस्म के नमकीन और शोरबा जैसे फ्लेवर का मेल कहा जा सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी इस पांचवें स्वाद के लिए बकायदा एक दिन समर्पित है। 25 जुलाई को विश्व उमामी दिवस मनाया जाता है।

कैसे हुई इस स्वाद की खोज?

इस स्वाद के खोज की कहानी काफी दिलचस्प है। 1908 में जापानी केमिस्ट डॉ. किकुने इकेदा ने यह जानने की कोशिश की कि आखिर उनका सीवीड ब्रॉथ (दाशी) इतना स्वादिष्ट किस वजह से होता है। यह तलाश उन्हें ग्लूटामेट तक ले गई, जो कि प्राकृतिक रूप से उपलब्ध एक प्रकार का एमिनो एसिड होता है और यही ब्रॉथ को हल्का नमकीन युक्त बनाता है। इकेदा ने इसे ही ‘उमामी’ कहा, जो जापानी शब्द ‘उमई’ से निकला है, जिसका मतलब होता है स्वादिष्ट।

साल 2000 के शुरुआती साल में, भारतीय मूल की बायोलॉजिस्ट डॉ. निरूपा चौधरी ने हमारे शरीर में इस उमामी के स्वाद को ग्रहण करने वाले खास स्वाद रिसेप्टर्स की खोज की और इससे डॉ. इकेदा द्वारा पहले से तलाशे जा चुके एक नए और अद्भुत स्वाद यानि उमामी की पुष्टि हुई। अब जबकि हम आज विश्व उमामी दिवस मना रहे हैं, तो क्यों न इस पांचवें स्वाद के बारे में और विस्तार से जानें और यह भी समझें कि आखिर किस प्रकार यह हमारे भोजन के फ्लेवर को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है।

हमें उमामी क्यों पसंद आता है?

शेफ अजय चोपड़ा बताते हैं कि, खानपान और व्यंजनों की दुनिया में उमामी उस समय से मौजूद है, जब रसोइए और शेफ इसके वैज्ञानिक पहलू को समझते भी नहीं थे। हमारी खानपान संबंधी पसंद या नापसंद को तय करने और पोषण में स्वाद की अहमियत हमेशा से रही है। जिस तरह से चीनी हमारे शरीर में एनर्जी या ग्लूकोज का संकेतक है, उसी तरह से उमामी हमारे फूड में प्रोटीन को दर्शाता है। इस मामले में कई सिद्धांतों के अनुसार, मनुष्यों के शुरुआती भोजन में मांस, कीट और पौधे शामिल रहे हैं और इन सभी में प्रोटीन की मात्रा होती है, इसलिए हमारी स्वादेंद्रियों को उमामी स्वाद हमेशा से भाता रहा है। ग्लूटामेट, जो कि उमामी के लिए जिम्मेदार रहा है, कई सामान्य खाद्य पदार्थों जैसे टमाटर, पत्तागोभी, आलू, मशरूम, चीज, चिकन, सॉय सॉस वगैरह में मौजूद होता है। यहां तक की मां के दूध में भी ग्लूटामेट होता है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि इस खास स्वाद को लेकर मनुष्य जाति का झुकाव जीवन के शुरुआती दौर से ही रहा है।’

विविध व्यंजनों में उमामी का स्थान

उमामी दुनियाभर के व्यंजनों में प्रमुख तत्व के रूप में मौजूद है। दाशी, जो कि सीवीड से तैयार होने वाला ब्रॉथ है, जापानी व्यंजनों में उमामी का आधारभूत स्रोत है। वहीं, इटैलियन खानपान में पॉर्मेजन चीज़ और सन-ड्राइड टोमैटो का इस्तेमाल भी उमामी फ्लेवर्स को बढ़ाने के लिए ही किया जाता है। कोरियन क्यूजिन में भी किमची जैसे खमीरयुक्त व्यंजनों (फरमेन्टेड फूड्स) का इस्तेमाल किया जाता है, जो नापा कैबेज और गोचुजंग तथा एंचोवी फिश सॉस से तैयार किया जाता है, जो कि उमामी से भरपूर होते हैं। इसी तरह, चीन में भी लोग अपने व्यंजनों में उमामी फ्लेवर एड करने के लिए सॉय सॉस तथा हरे प्याज का इस्तेमाल करते हैं। मेडिटरेनियन कुकिंग में एंचोवी फिश से तैयार होने वाले लैंब स्टू जैसी पारपंरिक डिश में भी उमामी मौजूद होता है।

जब बात भारतीय खानपान की होती है, तो आपको जानकर हैरानी होगी कि यह हमारे कई व्यंजनों में मौजूद है। हमारी गोभी की सब्जियों, टमाटर करी और बीन्स में उमामी प्राकृतिक रूप से होता है। एक अन्य देसी डिश जिसमें उमामी पर्याप्त मात्रा में होता है, वह है बटर चिकन जिसे भूने चिकन और टोमैटो करी से तैयार किया जाता है। जिस टमाटर शोरबा का लुत्फ आप रेलवे से सफर के दौरान उठाते हैं या जिस आंध्रा स्टाइल चिकन वेपुडु को खूब पसंद किया जाता है, उनमें भी उमामी होता है।

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