वेजिटेरियन और नॉन-वेजिटेरियन के अलावा वीगनिज्म भी एक सोच है। वेजिटेरियन, नॉन-वेजिटेरियन से अलग होते हैं, लेकिन वीगन डाइट लेने वाले इनसे काफी अलग रास्ते पर चलते हैं। ये सिर्फ खाने तक ही नहीं बल्कि कपड़ों, फर्नीचर, जूते और एसेसरीज में भी जानवरों के इस्तेमाल को सही नहीं मानते। आखिर वीगन और वेजिटेरियन में बेसिक फर्क क्या है और इनकी डाइट में भी, आइए जानते हैं।
इतने तरह के होते हैं वेजिटेरियन
लैक्टो वेजिटेरियन: इस ग्रुप के लोग सभी प्रकार के मीट और अंडे खाने से बचते हैं, लेकिन डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, बटर, चीज और दही अपनी डाइट में लेते हैं।
ओवो वेजिटेरियन: ये ग्रुप किसी भी प्रकार का मीट और डेयरी प्रोडक्ट्स नहीं लेता, लेकिन अंडे खाता है।
लैक्टो-ओवो वेजिटेरियन: ये शाकारियों का सामान्य ग्रुप है, जिसमें लोग किसी भी प्रकार का मीट नहीं खाते, लेकिन डेयरी प्रोडक्ट्स और अंडे लेते हैं।
वीगन लेते हैं ये फूड
बीन्स, मटर और दालें
सोया से बने प्रोडक्ट
मूंगफली, बादाम, काजू जैसे नट्स और इनसे बने बटर
गेहूं, किनुआ, ओट्स या चावल जैसे साबुत अनाज और इनसे बने प्रोडक्ट्स
आलू, शकरकंद, कॉर्न, चुकंदर जैसी स्टार्च वाली सब्जियां
सेब, नाशापाती, केला, बेरी, आम, अन्ननास, संतरा और इमली जैसे फल
ये चीजें लेने से बचते हैं वीगन
मीट और फिश: किसी भी प्रकार का मांस और मछली
अंडे: साबुत अंडे और अंडे युक्त चीजें नहीं खाते
डेयरी: दूध, दही, चीज़, बटर, क्रीम और इनसे बनी चीजें
एनिमल प्रोडक्ट: शहद, जेलेटिन और व्हे प्रोटीन जैसी चीजें नहीं लेते
सेहत पर ऐसा पड़ता है प्रभाव
ज्यादा से ज्यादा प्लांट बेस्ड चीजें खाने और पशुओं से तैयार होने वाले प्रोडक्ट्स को डाइट से हटा देने से सेहत को काफी फायदा होता है। इससे हार्ट डिजीज, डायबिटीज, किडनी डिजीज और कैंसर जैसी क्रॉनिक बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। एक स्टडी में यह बात सामने आई कि डाइट में हर तरह की चीज लेने वालों की तुलना में 15,000 वीगन्स का वजन, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल सेहतमंद स्तर पर था।
ये हो सकती है परेशानी
वीगन डाइट लेने वाले लोगों को कुछ पोषक तत्वों जैसे विटामिन डी, कैल्शियम, जिंक और आयरन की कमी पूरी करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करना पड़ता है। इसकी वजह है कि इनके खाने में कोई एनिमल प्रोडक्ट नहीं होता है।
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