ट्रंप कॉरिडोर’ में क़्या है ऎसा, जिसको बन्द करने कि धमकी से डरा अमेरिका

USAID fired 1600 employees, sent others on leave, Trump administration's decision
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तेहरान। ईरान ने अजरबैजान-आर्मेनिया शांति समझौते के तहत प्रस्तावित ‘ट्रंप कॉरिडोर’ को रोकने की धमकी दी है। इस कॉरिडोर को आधिकारिक तौर पर “ट्रंप रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रॉस्पेरिटी” (TRIPP) नाम दिया गया है।

ट्रंप कॉरिडोर क्या है?

यह एक परिवहन गलियारा है जो अजरबैजान को उसके एक्सक्लेव नाखचिवन स्वायत्त गणराज्य से जोड़ेगा।

यह गलियारा आर्मेनिया के स्यूनिक प्रांत से होकर गुजरेगा, जिससे अजरबैजान को बिना किसी बाधा के तुर्की तक सीधी पहुंच मिल जाएगी।

इस समझौते के अनुसार, अमेरिका को इस कॉरिडोर के विकास के लिए 99 वर्षों तक विशेष अधिकार मिलेंगे।

व्हाइट हाउस का कहना है कि इस कॉरिडोर से क्षेत्र में ऊर्जा और अन्य संसाधनों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

ईरान ने धमकी क्यों दी?

ईरान ने इस समझौते का स्वागत तो किया था, लेकिन बाद में उसने इस कॉरिडोर पर अपनी आपत्तियां व्यक्त कीं। ईरान का मानना है कि:

यह कॉरिडोर उसकी क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरा है।

इससे दक्षिण काकेशस क्षेत्र में अमेरिका का प्रभाव बढ़ेगा, जिससे रूस और ईरान का प्रभाव कम होगा।

यह गलियारा ईरान और आर्मेनिया के बीच मौजूदा व्यापार और संपर्क मार्गों को दरकिनार कर देगा, जिससे ईरान के आर्थिक हितों को नुकसान होगा।

ईरान ने चेतावनी दी है कि वह किसी भी ऐसे भू-राजनीतिक बदलाव को रोकेगा जो उसकी सीमाओं के पास सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। ईरान के एक वरिष्ठ सलाहकार ने तो यहां तक कहा है कि यह कॉरिडोर “ट्रंप का रास्ता” नहीं, बल्कि “ट्रंप के भाड़े के सैनिकों के लिए कब्रिस्तान” बन जाएगा।